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राय राणी शैन्या संगाते । चाल्या स परिवार ॥ च ॥ १५ ॥ पुर जन रायने आगले जी । गया भग जोवण आस ॥ ठाठ जम्यो घणो वाग में । सहू देखे धरी हुल्लास ॥ च ॥ ॥ १६ ॥ विमाण जाणे रवी दूसरो जी । करी रह्यो झल हल || बाइ बैठो मायने जी । सील गुण वीमल ॥ च ॥ १७ ॥ सहू बडाइ करे मदनकी जी । अहो २ गुण भंडार ॥ कष्ट सही दुःख नष्ट किया । जे लाया राज कुँवार ॥ च ॥ १८ ॥ तेतले जिंद आविया जी । हर्ष निशाण घुराय ॥ विमाण आदी ऋद्वि देखी । आश्चर्य अतिही पाय ॥ च ॥ १९ ॥ ए ॥ जवेरी के देवताजी । पुण्य प्रबल नर एह ॥ इम मनमें अनु मोदता जी । धरता अधिक स्नेह ॥ च ॥ २० ॥ सह जनने मध्य थी जी। आवे श्री नृपाल || अमोल हर्षानंदकी ए। भाखी पन्नरे ढाल ॥ च ॥ २१ ॥ * ॥ दोहा ॥ नर वर आया देख के । मदन घणा हर्षाय । दौडी सामे आविया । नमिया लुली २ पाय ॥ १ ॥ राजा कंठे लगाविया । आणी अधिक स्नेह ॥ धन्य जवैरी तुम भणी । कियो उपकार अछेह ॥ २ ॥ अहो नरोंशिर सेहरा । सूर वीर सिरदार ।। अशक्य कार्य तुम कियो । हुयो मुजपे आभार || ३ || कर जोडी मदन भणे । मुज में शक्ती न कोय ॥ | आप कृपा प्रसाद थी । सहू यह कामा होय ॥ ४ ॥ सेवक योग्य सेवा करी । नहीं इण में आभार ॥ सुणी नृपादि हर्षिया । धन्य २ रह्या उच्चार ॥ ५ ॥ ॥ ढाल १६ मी ॥
खण्ड ५