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________________ मोय ॥ तिण वली नीर मंगावियो । हूं आगे चल्यो खुश होय ॥ सु ॥ ४ ॥ * उदक लेतां चौटावियाजी । बस्ने देवता मुज ॥ उडायो गयो वेगलो । तिहां जोगी। 1& मिल्या कई गुज ॥ स॥ ५ ॥ मरतो नर बचावियो । सिद्ध सुवर्ण पुरुष निपाय ॥ फिर आया चंगलापुरी । तिहां कीधो विषम न्याय ॥ सु॥ ६॥ उजडपुर वसावियो । लियो तिहांको राज ॥ रायकन्या परण्यो तिहां । योगी पसाये सिद्धकाज ॥ सु ॥७॥ फिर्यो देवले मिली किन्नयाँ । तिण मंत्री दीधो नीर ॥ तिण जोगे तुम हम मिल्याने । Kगइ जोगीकी पीर ॥ सु ॥ ८॥ अब जाह सोंपी रायने । हूं होवू वयण उरण । आगल - इच्छा इण तणी । कांह करसी इम पूरण ॥ सु ॥ ९॥ इम बात विनोद में जी। 18 सुख थी मार्ग खुटाय ॥ थोडी देरने माय ने ते । पुर पयठाणे आय ॥ सु॥१०॥ # देखी गढ खुशी हुया जी । उतर्या बागमें तब ॥ खान पान सुख थी किया जी। | भद्रसेण जो जब ॥ सु ॥ ११ ॥ लेह रजा मदन तणी जी । आगल ग्राम मे आय ॥ राज तणी सभा विषे। सह जोइ जन विस्माय ॥ सु ॥ १२ ॥ जय विजय बधाइ ने & र कहे । सुणो बधाइ राजान ॥ मदन सेन रुप सुंदरीले । आया बाग के म्यान ॥ सु। ॥ १३ ॥ बाइ को आगम सुणी जी । सहू सभा हर्षाय ॥ आश्चर्य पाया राजवी । किम | लाया कन्या तांय ।। च ॥ १४ ॥ उमाया जोवा भणी जी। सहू हुया तब ही तैयारा ॥ RRRRRRRRRRYIARYARIYAR
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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