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| ३३ ॥ नागकुँवार देवालय रहसी । पूंछ जो कन्या की हेर ॥ ७ ॥ ३४ ॥ तेतो सघलो पतो में बतासी । मिला देशी कर मेहर ॥ ७ ॥ ३५ ॥ हम सुणी विप्र राजी हुयो अति । नमन । करी वेर २॥ ७ ॥ ३६ ॥ श्रीपुर आइ बात जणाइ । फिर गयो निज घेर ॥ वु ॥ ३७॥
जोगी मदन अंगज ए तीनो। चंगला नयर गया ठेर । बु॥ ३८॥ जोइ करामात मदनकी १ केशरजोगी। मिटायो क्षणामे करे ॥ ॥ ३९ ॥ जाण्यो ए छे पुण्यवंत प्राणी। राखे अतिही
मेहर ॥ बु॥ ४०॥ ढाल दुवादश कही अमोलख । चौथे खन्डे सुमेर ॥ बु॥४१॥ खन्ड KR सारांश हरीगीत छन्द । पाणी गृहतां बडने चेंटी उडी जयंती ए आविया ॥ जोगी |
छुडाया साला बचाया । सुवर्ण पोरष निपाइया ॥ विप्र वैश्या राडे तोडी । चंगलापुरीमें | रहिया ॥ ए अधिकार चतुर्थ खन्डे । ऋषि अमोल दरशाविया ॥४॥ * . ___ परम पूज्य श्री कहानजी ऋषिजी महाराजके संप्रदायके बाल ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलख ऋषिजी रचित पुण्य प्रकाश मदन चरित्रस्य चतुर्थ खन्डम् समाप्तम् ॥ ४ ॥
२ झगडा