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| जोगी की करामात ॥ निज मेहनत सफली हुई । जोगी पण हर्षात ॥ २ ॥ प्रणम्या दो जोगी पदे । जोगी दी आशीस ॥ थाणे सहाये माहारी । पूरी हुई जगीस ॥ ३ ॥ मदनके कृपा आपकी | देखी अपूर्व बात || मुज थी सीं सेवा सदी ॥ सह आपकी करामात ॥ ४ ॥ ढांकी पुतलो लाविया । देवी देवल मांय ॥ भुक्त पान इच्छित करी । सुखथी सयन कराय ॥ ५ ॥ ॥ ढाल ७ मी ॥ कोयल टहुक रही मधुवनमें ॥ यह ॥ पुण्य पसाय जीव संपत पावे । अचिंती लक्ष्मी कर आवे || आं ॥ साहसिकता बुद्ध मदन की जोइ । ते जोगी तब संतुष्ट होइ ॥ पुण्य ॥ १ ॥ जाग्या मदन तब जोगी चेतावे | सुण भाइ मुज मनसा जे चहावे ॥ पुण्य ॥ २ ॥ हमतो हैं निष्परिगृही साधू ॥ कनक कान्तासें रहे अलाधू ॥ पुण्य ॥ ३ ॥ फक्त मंत्री सत्यता जोवा । कार्य कीधो पोरषो होवा ॥ पुण्य ॥ ४ ॥ तुमने जे मुज भक्ती बजाइ । तिण बदले ये देखूं तुम तांइ ॥ पुण्य ॥ ॥ ५ ॥ मदन कहे तब अतिनरमाइ । आप पसाय कमी कछु नाहीं ॥ पुण्य ॥ ६ ॥ आपनी वस्तु आप पास राखो । मुजने तो कधी छेह न दाखो ॥ पुण्य ॥ ७ ॥ सेवक तो खुशी सेवा मांइ । सब ऋधि आपकी कृपा जणाइ ॥ पुण्य ॥ ८ । जोगी कहे हमतो नहीं राखां । तुजने जोग देखीने भाखां ॥ पुण्य ॥ ९ ॥ जो रहसीये थारे पासे । तो उपकार बहु लो थासे ॥ पुण्य ॥ १० ॥ इम जोगीनी कृणा जाणी । वयण शीस