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________________ म.श्रे. १तरवार आटा तस । धिंसता लायारे ॥ न्हाख्यो भट्टी पास । अंगज सहायारे ॥ १८ ॥ कराइ तस अंगोल । चंदन चरच्योरे ॥ पेराइ कुसुम सुवास । पूज्यो अच्योरे ॥ १९ ॥ बल बाकुल निप जाय । पासे मूक्यारे ॥ मंत्र थी बान्धयो तास । जरा नहीं चूक्यारे ॥ २० ॥ करमें ही करवाल । दियो सुवाइरे । दुजो उदड कणिक को । पूतलो बणाइरे #॥ २१ ॥ ते मनुष्याकार । श्रृंगार सजायोरे ॥ मुरदाने पग पासा । लाइ बैठायोरे ॥ २२ - पूतला लारे अंगज । दबाने बैठारे ॥ सपना मशले पाय । सावध रही सेंठारे ॥ २३ ॥ | मदन अस्सी ले हाथ । प्रहरो देवेरे ॥ कोइ उपसर्ग करने न पाया । चकोरे तै रेवेरे ॥ २४ ॥ | पह्मासने जोगी तेह । जपता मंत्रोरे ॥ हो मादी यथाविध । करता तंत्रोरे ॥ २५ ॥ प्रगट्या व्यंतर अनेक । चेष्टा करतारे ॥ मदन भणीने मंत्र । बाकला देतारे ॥ २६ ॥ ते गया विरलाय । जाप पूरो थाइ रे । सब उठ्यो तत्काल । खड़ कर साइरे ॥ २७॥पीसतो जोरे दांत । अस्सी #घुमातोरे ॥ अंगज पूतल लार । दबी मंत्र ध्यातोरे ॥ २८ ॥ कणिक पूतलानो ताम । सीस | उडायोरे ॥ उछली पडयो तत्काल । कढाइ मायोरे ॥ २९ ॥ उकलता तेल मांय । गोता स्वाइरे । जोगी ते इम जोय । आणंद पाइरे ॥ ३० ॥ ढाल छटीके मांय । सिद्ध थयो मंतोरे ॥ मदन पुण्यकी बात । अमोल कहंतोरे ॥ ३१ ॥ * ॥ दोहा ॥ पूर्व दिशामें प्रगट्यो । सूर्य जाज्वल्यमान ॥ पूतलापर प्रभा पडी । दीसे सोवन वान ॥ १ ॥ जोड दोनु हर्षिया । ३ तरवार
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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