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ॐ सूली पर जेह । वैर गमावूरे ॥ ३॥ मदन जोगी तिण ठाम । अंगज चाल्यारे ॥ निज | रिपु निर्जीव । सूली ए भाल्यारे ॥ ४ ॥ युक्ती थी कहाडी तेह । खांदे धरियारे । वजन में
घणो तिण माहे । जावे न चलियारे ॥ ५ ॥ विसामाने काज । तरु तल आइरे ॥ * मृत्युक भूहये ठाय । क्षिण बैठाइरे ॥ ६॥ तेतले कलेवर तेह । व्यंतर उडायोरे ॥ तेहीज में | तरुनी डाला । तस चिकटायोरे ॥ ७ ॥ अंगज चालवा ताम । करी तैयारीरे ॥ नृत्युका तिहां नहीं जोय । आश्चर्य पाया भारीरे ॥ ८॥ इत उत घणाइ जोय। तेहा न देखावेरे में
तेतले तरुनी डाल । लटकतो पावरे ॥ ९ ॥ चढिया लेवण बृक्ष । साहस धारीरे छोडाइ ते डाल । नीचे दियो डारीरे ॥१०॥ आया नीचे उत्तर । निघा नहीं पडियोरे ॥ जौवे ऊंची दृष्टि । तर डाले अडियोरे ॥ ११॥ विस्मय घणो ही पाय । कुण उडावेरे ११ झाडपर ॥ मृत्युक किम उड जाय । ठेठ किम आवेरे ॥ १२॥ चडिया पुनः पादोप । बुद्धि उपाइरे ॥ छोडी लियो पीठ बान्ध । फिर उतर्याइरे ॥ १३ ॥ ले आया जोगी पास । वीतक दरसायोरे ॥ देखी साहस तास । जोगी हर्षायोरे ॥ १४ ॥ जोगी कहे रहो हूंशि| यार । भग नहीं जावेरे ॥ मदन अंगज दोइ तास । गाडो सावरे ॥ १५ ॥ करतां तस | उपचार । छोडी दीनोरे । तेह सव तिण वार । रस्तो लीनोरे ॥ १६ ॥ मदन तस भगतो. | जोय । आश्चर्य पाइरे । लार भग्या ले तरवार । दीनो गुडाइरे ॥ १७॥ टांगडी पकडी