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________________ सरियस च सहस्स, जदि थी इस्थि निद्दिसति इस्थिणिद्देसो, अह इत्थी पुरिसणपुंसए णिद्दिसइ सो अणिदेसी, जदि पूरिसोर्स श्रीवीरस्य श्री पुरिसं णिदिसति पुरिसणिसो, अहपुरिसो इत्थिणपुंसए निद्दिसइ सो अनिद्देसो, एवं जदि निर्दिसियव्वं च निद्दिसओ य सो चेव मकाः आवश्यक तं इच्छसि, सेस णचि इच्छति सदो । एवं सेसाणवि विमासा । इयाणि निग्गमेत्ति दारं । सो य छविहोउपोद्घात नियुक्ती नामगाहा ॥२-६६॥ नामनिग्गमो ठवण दव्व० खेत्त० काल. भाव०, नामस्थापने पूर्ववत्, वतिरितो दन्वनिग्गमो, सो र सचिचातो वा सचित्तस्स निग्ममो चउभंगो, सचित्ताओ सचित्तस्स निग्गमो जहा मूलाओ कंदो कंदाउ खंघो एवं, अहवा जहा इत्थीओ ॥१२७॥ जगमो, सचित्ताओ अचित्तस्स, जहा केसमंसुणहरोमादीणि, अचित्ताओ सचित्तस्स जहा-कट्ठाओ पावगस्स, अहवा कट्ठाओ घुणस्स, अचिचा अचिचस्स, जहा खीराओ दहिं, दहितो णवणीतं, णवनीताओ घयं, अहवा उच्छुरसाउ गुलो । अहवा दवाओ दव्वस्स निम्गमो, दबाओ वा दवाण, चउभंगो, दवाओ दव्वस्स, जहा-रुवआ पयुत्ता रूवओ चेव पच्चाओ जातो, दवाओं देवाण जहा-एगेण रूबएणं बहव रूचया लद्धा, दव्वेहिंतो एगस्स दब्बस्स, जहा-बहूहिं पउत्तेहिं एगो रूवमो लद्धो, बहूर्हि पउत्तेहि बहवे चेच लद्धा इति । खेचनिग्गमो-जमि खेत्ते निग्गमो वबिज्जति, जो वा जाओ खेत्ताओ णिग्गओ एमादि, कालनिग्गमों-जर्षि काले नियमो वत्रिज्जति, जो वा जातो कालाओ निग्गतो, भावणिग्गमो-जो जातो भावाओ निग्गतो जेण वा भावेण निग्गओं इच्चादि, जहवा इह एसोसि चेव दव्वखेत्तकालभावाणं भगवं पुरिमं गमणिज्जत्तिकटु तम्हा भगवतो चेव निग्गमो परूवेतव्यों, तत्थिमा १२॥ दणिग्गमे पडमगाधा
SR No.600290
Book TitleAavashyak Sutram Purv Bhag
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Jindasgani Mahattar
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1928
Total Pages620
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size13 MB
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