SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 126
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ | दृष्टान्तो आवश्यक उपोद्घात नियुक्ती ॥१२४॥ SACARRACREAct. हाणी य अवनवादो य, एरिसत्ति अनाओऽविण लभंति, एवं आयरियंपि, सीसा पाडिच्छगा करेहिन्ति, पाडिच्छगा सीसत्ति, चर्चा | बितिया पसत्था, बंभणस्स दुझिहितित्ति, गावी य पुणो मज्झवित्ति, चर्चा | एवं आयरिए सीसा चिंतति-किं एतेहिी, अम्हं | एस भारो, णिज्जरा, आयरितो य साधूण दाही पुणो अम्हांपत्ति, चर्चा । एवं पाडिच्छगावि । भेरी सच्चेव वासुदेवस्स भणिया, जह सा जया सुविसुद्धगुणजुत्ता आसि तदा महग्या आढिता, पच्छा विवरीया, एवं सीसेवि समोतारो। अहवा जहा वासुदेवेण | गुणेहिं देवावि अक्खित्ता भेरी य लद्धा एवं सीसो गुणवं गुरुं आराहेति सकज्ज णिप्फादेतित्ति, चर्चा । आभीरी, आभीरो भंडीए उवरि ठितो घयगकुंडं पणामेति, हेट्ठा मे महिला पडिच्छति, तीसे इतरस्स य अंतरागण्हंतमुयंताणं | | कहमवि पडितो भिन्नो, ताणि भंडंति-तुमे दुग्गहितं, तुमे दु? पणामितति, ताव सव्वं भूमि गयं, परोप्परकोवो वेला फिट्टा अकाले |गच्छताणं सेसघयमुल्लं बइल्लाय चोरेहिं गहिता हाणी अवनो य, एवं चेव आलावए आयरिएण दिने अन्नं वा कुट्टितो भणितो-ण एवं, भणइ-तुमं चेव एवं दिन्नो, सो भणति-ण देमि, तुमं विणासेसित्ति, कलहो, एवं समोतारो । वितिओ दवनि ओइन्नो, दोहिवि दवदवस्स कप्पराणि भरिताणि, मणागं णटुं, सो आभीरो भणति-मए ण सु? पणामितं, सा भणति-मए न सुगहितंति, एवं आयरिएणवि आलावओ दिन्नो, पच्छा आयरितो भणति-मा एवं कुट्टेहि, प्रागेव मए आणुवउत्तेण दिन्नो, सो भणति-मते ण 8 | सुटु गहितोत्ति, चर्चा । अहवा आभीरी जाणति-धारा एत्तिल्लिया घडए माहिति, एवं आयरितो जाणति एगं दुर्गआलावगं गहिहितित्ति एवं परिक्खिए सीसस्स देज्जा, दुसीसस्स विवेगो, चर्चा । :: ॥१२॥
SR No.600290
Book TitleAavashyak Sutram Purv Bhag
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Jindasgani Mahattar
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1928
Total Pages620
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy