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________________ श्रादश है णुयोगेण अहिगारो, सिस्सो आह-कि सव्वस्सेव सुर्यणाणस्स अणुयोगो कहेयव्यो, अधिगयस्स कस्सइ सुयखंधस्स ?, आयरितो है अनयोगः वैकालिक आह-सव्वस्सावि सुयणाणस्स कहेतव्यो, इमं पुण पट्टवणं पडुच्च दसवेयालियस्स अणुयोयो कहेयन्वो ॥ दसवेयालियं णं भंते! किं चूर्णी अंग अंगाई सुयखंधो सुयखंधा अझयणं अज्झयणा उद्देसो उद्देसा? दसवियालियं णं नो अंग नो अंगाई सुयखंधो नो सुयखंधा १ अध्ययने णो अज्झयणं अज्झयणा नो उद्देसो उद्देसा, तम्हा दस निक्खिविस्सामि कालं निक्खिविस्सामि सुतं निक्खिविस्सामि खधं निक्खिविस्सामि अज्झयणा निक्खिविस्सामि उद्देसा निक्खिविस्सामि, तत्थ पढमं दारं दसत्ति, एको एको य दोणि, ॥३॥ दादोणि एको य तिण्णि, तिण्णि एको य चत्तारि, चत्तारि एको य पंच, पंच एको य छ, छ एको य सत्त, सत्त एको य अट्ठ, अट्ठ एक्को य णव, णव एको य दस, तेण एक्कस्सवि अभावे दसण्हवि अभावो भवइ, तम्हा पुवामेव ताव एकनिक्खेवो भाणियव्वो, तत्तो पच्छा दसहं, तस्स एगस्स दारगाहा णामं ठवणादविए, माउगपद संगहेक्कए चेव । पन्जव भावे य तहा सत्तेते एकगा भणिया ।। ८-७ प॥ . णामठवणाउ जहा आवस्सए भणियाउ तहेव, तत्थ दव्वेक्कगा तिविहा-सचित्तं अचित्तं मीसगं च, तत्थ सचित्तं जहा एको पुरिसो, अचित्तं जहा एको कासावणो, मीसओ जहा सो चेव पुरिसो अलंकियविभृसिओ, माउगापदेकगं णाम तंजहा-उप्पण्णेति वा धुवेति वा विगमति वा, एते दिट्ठिवाए माउगपदा भवंति, अहवा इमे माउगपदा अआ ईई एवमादि, संगहेक्कग नाम जहा एगो साली साली चेव भण्णइ तहा बहुओवि सालीओ साली चेव भण्णति, तं च संगहेकगं दुविहं, तंजहा-आदिट्ठ अणादिटुं च, तत्थ आदिहूं णाम विसेसियं, अणादिटुं णाम अविसेसियं, अणादिदै णाम जहा साली सालित, आदि जहा गंधसालित्ति, पजवेक्कगं RRC COPICS
SR No.600287
Book TitleDashvaikalik Churni
Original Sutra AuthorJindasgani Mahattar
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1933
Total Pages384
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_dashvaikalik
File Size9 MB
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