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विशेषावश्यक गाथा:
श्रीमलधा- पुव्वमदिट्ठमस्सुयमवेइयतक्खणविसुद्धगहियत्था । अव्वाहयफलवती बुद्धी उप्पत्तिया नामं ॥ ३६०९ ॥९३९ ।।
पुवि अदिट्टमसयं अपरिण्णायं वर्णमि तस्थेव । (संसयरहिय विसुद्धा) गहियत्था अवगयत्थत्ति ॥ ३६१०॥ ॥४३॥
| फलमेगंतियमबाहयं न वा दूसियं जमण्णण । इहपरलोगगयं वा, जीसे अव्वाहयफला सा ।। ३६११॥ | भरहसिलपणियरुक्खे खुड्गपडसरडकायउच्चारे । गय घयणगोलखंभे खुडगमग्गित्थि पतिपुत्ते ॥ ३६१२ ॥ ९४०॥ 8| भरहसिलमेंढकक्कडतिलवालगहत्थि अगडवणसंडे । पायस अतियापत्ते खाडहिला पंचपियरो य ॥३६१३ ।। ९४१ ॥ | महुसित्थमुद्दियंके य णाणते भिक्खुचेडगणिहाणे । सिक्खा य अत्थसत्थे इच्छा य महं सयसहस्से ।। ३६१४ ॥ ९४२ ।। विणओ गुरूवसेवा सत्थं च गुरूवदेसियं तत्तो । जा तदणुसारओ वा संजायइ चिंतयंतस्स ।। ३६१५ ।। भनित्थरणसमत्था तिवग्गसुत्तत्थगहियपेयाला । उभयोलोगफलबई विणयसमुत्था हवइ बुद्धी ॥ ३६१६ ॥ ९४३ ॥ | कज्जं भरोत्तिगरुयं नित्थरणं जं तयंतगमणं तु | धम्मादओ तिवग्गो अहव हु लोगादयो तिण्णि ॥ ३६१७॥ तस्सागमसुत्तत्थोवलद्धमारात्त गहियपेयाला। इहपरलोगगओभयफलभावाओ फलवइत्ति ॥ ३६१८॥ निमिचे अत्थसत्थे य लेहे गणिए य कूव अस्से य । गद्दभलक्खणगंठी अगदे गणिया य रहिये य ॥ ३६१९ ॥ ९४४ ।। सीया साडी दीहं च तणं अवसव्वयं च कोंचस्स । व्वोदये य गोणे घोडगपडणं च रुक्खाओ ।। ३६२० ॥ ९४५॥ जो णिच्चव्वावारो तं कम्मं होइ सिप्पमियरं वा । जा तदणुसारओ होइ जा य कालेण बहुएणं ॥ ३६२१ ।। उवओगदिवसारा कम्मपसंगपरिघोलणविसाला । साहुक्कारफलवई कम्मसमुत्था हपइ युद्धी ॥ ३६२२ ॥ ९४६॥
॥ ४३ ।।