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________________ विशेषावश्यक गाथा: श्रीमलधा-8 अरहन्ति बंदणनमसणाणि अरहान्त पूयसकारं । सिद्धिगमणं च अरिहा अरिहन्ता तेण वुच्चंति ॥ ३५७५ ॥ यतिदिष्टा देवासुरमणुयाणं अरिहा पूया सुरुत्तमा जम्हा । अरिणो हन्ता रयं हंता अरिहंता तेण वुच्चंति ॥ ३५७६ ॥ ॥४२॥ कम्म जमणायरिओवएस सिप्पमण्णहाभिहियं । किसिवाणिज्जादीय घडलोहादिभेदं च ॥ ३५९७ ॥ ९२८ ॥ जो सम्बकम्मकुसलो जो जत्थ व सुपरिणिट्ठिओ होइ । सज्झगिरिसद्धओविव स कम्मसिद्धत्ति विबेओ ॥ ३५९८ ॥ ९२९॥ जो सव्वसिप्पकुसलो जो जत्थ व सुपारीनीट्ठओ होइ । कोकासवडई विव साइसओ सिप्पसिद्धो सो।। ३५९९ ॥ दार ९३० इत्थी विज्जाभिहिया पुरिसो मंतोत्ति तबिसेसोयं । विज्जा ससाहणा वा साहणरहिओ य मंतोत्ति ॥ ६०० ॥ ९३१ ॥ विज्जाण चकवट्टी विज्जासिद्धो स जस्स वेगावि । सिज्झज्ज महाविज्जा विज्जासिद्धाज्जखउडोव्व ॥ ३६०११॥ ९३२ ॥ साहीणसवमंतो बहुमंतो वा पहाणमंतो वा । णेओ स मंतसिद्धो, खंभागरिसोव्व सातिसओ ॥ ३६०२ ।। ९३३ ।। सव्वेवि दव्वजोगा परमच्छरयफलाधवेगोवि । जस्सेह होज्ज सिद्धो स जोगसिद्धा जहा समिओ ।। ३६०३ ॥ दार ९३४ ।। आगमसिद्धो सवंगपारओ गोयमोच्च गुणरासी । पउरत्थो अत्थपरो व मम्मणोव्वऽत्थसिद्धो उ ।। ३६०४ ॥ ९३५॥ जो निच्चसिद्धजत्तो लद्धवरो जो व तुंडियाइन्व । सो किर जत्तासिद्धोऽभिप्पाओ बुद्धिपज्जाओ ॥ ३६०५ ।। ९३६ ॥ विउला विमला सुहुमा जस्स मती जो चउब्विहाए वा । बुद्धीए संपण्णो स बुद्धिसिद्धो इमा सा य ॥ ३५०६ ॥ ९३७ ।। उप्पत्तिया वेणइया, कम्मया पारिणामिया । बुद्धी चउबिहा वुत्ता, पंचमा णावलब्भई ।। ३६०७ ॥ ९३८ ॥ उप्पत्तीएच्चिय जाण सत्थकम्माशुमाणमादीहिं । उप्पज्जति ण-चिरेण य ण वाहयफला य जा किंतु ॥ ३६०८॥ RECOREGAAR 4445459 ॥४२॥
SR No.600286
Book TitleNandisutrasya Churni
Original Sutra AuthorRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1928
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_nandisutra
File Size19 MB
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