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________________ HिARASH विशेषावश्यक .गाथा: श्रीमलधानतुंगीयसभिवेसे मेयज्जो वच्छभूमिए जाओ । भगवंपियप्पभासो, रायगिहे गणहरो जाओ ॥ २४१४ ॥ दारं ६४५ यतिदिष्टाः जट्ठाकत्तियसाई समणो हत्धुत्तरा महातो य । रोहिणिउत्तरसाढा, मिगसिर तह अस्सिणी पुस्सो ।। २४९५॥ ६४६ ॥ ॥३५॥ वसुभूती धणमित्ते, धम्मिलधणदेवमारिए चेव । देवे वसू य दत्ते बले य पियरी गणहराण ॥ २४९६ ॥ ६४७॥ पुहवी य वारुणी भद्दिला य विजयदेवा तहा जयंती य । णंदा य वरुणदेवा, अतिभद्दा य मायरो ॥ २४९७ ॥६४८ ॥ | तिन्नि य गोयमगोत्ता, भारदा अग्गिवेसवासिट्ठा । कासवगोतमहारियकोंडिल्लदुर्ग च गोत्ताई ॥ २४९८॥ दारं ६४९ लापण्णा छायालीसा, बायाला होति पण्णपण्णा य । तेवण्ण पण्णसट्ठी, अडयालीसा य छाचत्ता ।। २४९९ ॥ ६५०॥ छत्तीसा सोलसगं अगारवासो भवे गणहराणं । छउमत्थप्परियागं, अहक्कम कित्तइस्सामि ॥ २५००॥ दारं ६५१ तीसा बारस दसगं, बारस पायाल चोद्दसदुगं च । णवर्ग बारस दस अट्ठगं च छउमत्थपरियाओ ।। २५०१॥ ६५२॥ | छउमत्थप्परियागं, अगारवासं च वोगसित्ताणं । सव्वाउयस्स सेसं, जिणपरियागं वियाणाहि ॥ २५०२ ।। ६५३ ।। | बारस सोलस अट्ठारसेव अट्ठारसेव अद्वेव । सोलस २ तह एक्कवीस चोद्दस सोल सोले य ।। २५०३ ।। ६५४ ॥ बाणउई चउसत्तरि सत्तरि तत्तो भवे असीई य । एगं च सर्य तत्तो तेसीती पंचणउती य ॥ २५०४ ।। ६५५ ।। अत्तरिं च वासा, तत्तो बावचीरं च वासाई । बासट्ठी चत्ता खलु सव्वगणहराउयं एवं ॥ २५०५॥६५६ ॥ | सव्वे य माहणा जच्चा, सव्वे अज्झावया विद् । सव्वे दुवालसंगी, सव्वे चोद्दसपुग्विणो ॥ २५०६॥ ६५७॥ | परिनेम्वुया गणहरा, जीवंते णायते णच जणा उ । इंदभृती सुहम्मे य, रायगिहे निव्वुए वीरे ॥ २५०७ ॥ ६५८ ॥ T RA
SR No.600286
Book TitleNandisutrasya Churni
Original Sutra AuthorRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1928
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_nandisutra
File Size19 MB
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