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________________ ईर्याद्वा आगमो বাহিঙ্কা द्वारककृति मन्दाहे तहाऽपरिहारा तव्वयणुदेसनिच्चलया ॥१९॥ नय कत्थइ | लंभो। गिहिनदियाणुगारी विसेसविसया हि तव्वाया ॥२७॥ सामाइयमित्तबद्धेरिया फुडं कहिया । न य फलसुद्धिसमत्थ- | मन्नइ मणीसिणुत्तं सीसेणं गुरुवओ समग्धवियं । तेणऽणुओगो णमसेण वि किं विरुद्धवओ ॥२०॥ सामइयं किं चेरिय- | दिट्ठो न सो पुरा गुरुकओ जम्हा ॥२८॥ इरियं पडिक्कपुव्वं जं गच्छवासिणा विहियं । तं बहुमयं च जइ ते | मियत्ति वयणं बंदणपढणपडिबद्धं । पुव्युत्तरकिरियाओ पगरणकरणं पओमहणं ॥२१॥ अहिगारिविसेसाओ सुत्तं | सामइयं पुणकिरियं तु ॥२९॥ सव्वत्थ साहुमूले पोसहजं तिरियजाइणोऽणेगे । हाणाइ विणा पडिमं जिगिंदचं- | सालाए वा विहेयव्वा । इरियत्ति सत्थवक्कं तं किं सामाइय दाण पूर्वति ॥२२॥ अन्नण विहियमवहाणेसु उवजीवइ जणी | विहडे ? ॥३०॥ सक्खं चेइयवदणमिरियारहियं नमुत्थुणंसव्वा । अन्नह वंदणहीगो सव्वा ते पुव्वविहियविही॥२३॥ ति वओ। दद्रुणुक्टुिं तमि सेति किमजुत्तमरिहाणं ॥३१॥ नवकारुवहाणे वा न देववंदण उस्सग्गपमुहविही । तदिगबो- | वंदणसज्झायट्ठोऽऽवस्सयपभिईसु ईरिया इरिया । न मिहोतेण हियवइणो कहं व आवस्सयाइविही ॥२४॥ न य कोवि विरोहो लेसेणेक्केण विहियाणं ॥३२॥ सामाइयस्स पाढो तुम हिच्चा खरयर ? सामाइयं विणा इरियं । कुणइ तओ तं इरियापुबुत्ति जइ न किं करणं । पाढो तस्सत्ति जइ सो | सम्म वियार सुत्ताण परमत्थं ॥२५॥ जं बुच्चइ गहगत्थेण इरि- | विणेरियं णेव सो कप्पो ॥३३॥ आयारपईवाइसु खरयरवयाणुत्तत्ति तं महच्छरियं । जे आवस्सयविहिएणुत्ता पडिलेह- यणस्स दंसणं जं तं। उवठंभेत्ता नेयं सत्थे वेयाइवयण व पमजणए ॥२६॥ अत्यो गमणनिवित्ती इरियाए नेव तेणुवा- | ॥३४॥ गणहरसड्ढसईयं वयणं तुम्भचएहि जं लत्तं । तई ॥२२॥
SR No.600283
Book TitleAgamoddharak Kruti Sandohe Part 01
Original Sutra AuthorManikyasagarsuri
Author
PublisherShantichandra C Zaveri
Publication Year1960
Total Pages302
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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