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________________ ॥ वृद्धिपत्रकम् ॥ ا 331600 से भिक्यू वेत्यादि । सभिक्ष3 २५ A५ से भिक्षु इत्यादि । स भिक्षु३२५ 89 से भिक्यू इत्यादि । स भाव325 A3 से भिक्खू बेत्यादि । स भिक्षर्य325A5 अहेत्यादि । अथ शब्दः SB से भिक्खू वेत्यादि । सभिक्षुर्या3258एपमित्यादि । एतदिति से भिक्खू वा भिक्खुणी वा इत्यादि। स भाव३२, AG भिक्षु3२०B२ ग्रह पुरण इत्यादि । अथ पुनः BCसे भिवायू वेत्यादि । स भिक्षुभिक्षाCAR१ भिक्खू वेत्यादि । स भिक्षुर्य३२८B 3 आहेत्यादि । अथ पुन3२६०२ से भिक्खू बेत्यादि । म भिक्ष २६५ २८BA प्रसंजया इत्यादि । असंयतः २००५ से एगइयो इत्यादि । स भिक्षुः ३०86 इह खलु इत्यादि । इहेति 84से भिवम्यूइत्यादि स भिक्षु. 33१०८ से तत्येत्यादि । मः भिक्षुः 333 A1 से भिक्बू इत्यादि । म भिक्षु33२ केवलीत्यादि । केवली. 33२ 8 ५ से भित्रम् इत्यादि । भिक्षु 333 AM से भिन्न इत्यादि । म भिक्षु - 37२०१० से भिवायू वेत्यादि । स भिभि333. AC से भिक्बू इत्यादि ।स भिक्ष 313५ से भिनल वेत्यादि । स भिक्षुर्य33383 से भिक्बू इत्यादि । स भिक्षुर 333 AT से भिवबू वेत्यादि । स भिक्षुएं33381 से भिक्यू वेत्यादि । स भिक्षुर्या 377 A५ से भिक्यू वेत्यादि । स भिक्षुभि337 Bt से भिक्कू इत्यादि । म भिक्षुः - 3778से भिक्खू वेत्यादि । स भिक्षुर्ग33 ५A२से भिक्यूवेत्यादि । स भिक्षु.. १२ से भिक्यूवेत्यादि । स भिक्षा33 ५ ० से भिक्खू वेत्यादि । स भिक्षु33 ५ 83 से तमादायेत्यादि । सः भिक्षुः 37 489 से भिक्खू वेत्यादि । स भिक्षुणे33SA 3 भिक्खागेत्यादि । भिक्षणशीला 3rs से भिमबू वेत्यादि । स भिक्षुर 35 93 से भिमान वेत्यादि । स भिक्षुरा3583 से तत्येत्यादि । सः भिनुः 3TS०१० से भिक्यू वेत्यादि । स भिक्षु5 B13 मे भिक्खू वेत्यादि । स भिक्षु 379 से भिक्खू वेत्यादि । स भिक्षुर्वB 3 से भिक्यू वेत्यादि । स भिभि< से मिक्यू इत्यादि । स भिक्षुभि 3rc03 से भिक्खू वेत्यादि । पागंतारे 31 से भिक्खू वेत्यादि । सुगम 213 से भिक्खू इत्यादि । स भिभि 37 B२ से भिक्खू वेत्यादि । पिप्पसी85 से भिक्खू वेत्यादि । स भिक्षुभि 86 से भिवबू वेत्यादि । स भिक्षुर्य १० से भिक्बू वेत्यादि । स भिक्षुर्या A १ से भिन वेत्यादि । उच्छुमेरगति A. से भिक्खू बेत्यादि । स भिभि A13 से भिक्यू वेत्यादि । स भिक्षुर्य03 मे भिक्खू वेत्यादि । स भिक्षुभि 37c 1943 से भिन वेत्यादि स मिनुभि B1 से भिक्खू येत्यादि । स भिक्षुर्य371843 मह तत्वेत्यादि पथ । भिक्षु 3788 मे भिवायू वेत्यादि । पच्छियंति 32.9 महेत्यादि । पथासो 3re 8१० से इत्यादि । करणम् इति 37282 पहेत्यादि प्रय पुन 3५० A८हेत्यादि । इहेति 3१२ 87 पहेत्यादि । अथ पुन 34 B27 सेत्यादि । स भिक्षुर्य २dwwwwwww hn७०० بیا نیا با ل 33२ BC
SR No.600281
Book TitleAcharanga Sutram Uttar Bhag
Original Sutra AuthorTattvadarshanvijay
Author
PublisherParampad Prakashan
Publication Year2001
Total Pages250
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size16 MB
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