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________________ उपासकदशांग सानुवाद सद्दालपुत्र अध्ययन ॥१५॥ ॥१५॥ य जाव वागरणेहि य चाउरन्ताओ संसारकन्ताराओ साहत्थि नित्थारेइ, से तेणटेणं देवाणुप्पिया! एवं वुच्चइ-'समणे भगवं महावीरे महाधम्मकहीं'। आगए णं देवाणुप्पिया! इहं महानिजामए ? के णं देवाणु| प्पिया ! महानिजामए? समणे भगवं महावीरे महानिजामए । से केणटेणं? एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे संसारमहासमुद्दे बहवे जीवे नस्समाणे विणस्समाणे जाव विलुप्पमाणे वुडमाणे निबुड्डमाणे उप्पियमाणे धम्ममईए नावाए निव्वाणतीराभिमुहे साहत्यि सम्पावेइ, से तेणटेणं देवाणुप्पिया! एवं वुचइ'समणे भगवं महावीरे महानिजामए । १४. तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए गोसालं मङ्खलिपुत्तं एवं वयासी-'तुब्भे णं देवाणुप्पिया! इय- हे देवानुप्रिय ! अहीं महानिर्यामक आव्या हता? हे देवानुप्रिय ! कोण महानिर्यामक छ ? श्रमण भगवान् महावीर महानिर्यामक छे. एम शा हेतुथी कहो छो? हे देवानुप्रिय ! श्रमण भगवान महावीर संसाररूप महासमुद्रमा नाश पामता, विनाश पामता, यावत् विलुप्त थता, बुडता, अत्यन्त बुडता 'उप्पियमाणे गोयां खाता घणा जीवोने धर्मबुद्धि रूप नौका वडे निर्वाणरूप तीरना सन्मुख पोताना हाथे पहोंचाडे छे. ते हेतुथी हे देवानुप्रिय ! एम कहेवाय छे के 'श्रमण भगवान महावीर महानिर्यामक छे.. त्वबलाभिभूतान्' मिथ्यात्वना बल बडे पराभव पामेला, तथा आठ प्रकारना कर्मरूपी तमः पटल-अन्धकारनो समूह ते वडे प्रत्य वच्छन्न-ढंकायेला. तथा निर्यामकना आलापकमां 'बुडमाणे बुडता, 'निवुडमाणे जन्ममरणादि जळमां अत्यंत बुडता, 'उप्पियमाणे उत्पलाव्यमानान्-गोथां खाता जीवोने पोताना हाथे पार उतारे छे. EXCEESCC
SR No.600279
Book TitleUpasakdashanga Sutra
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAbhaydevsuri
Publication Year
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size15 MB
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