SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 109
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उपासक दशांग सानुवाद ॥१०९॥ XXXXXXXXXXXXXXXXXXXX |गपडिम अहासुत्तं जहा आणन्दो जाव एक्कारसवि । तए णं से चुलणीपिया समणोवासए तेणं उरालेणं जहा ३ चुलनी. कामदेवो जाव सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसगस्सं महाविमाणस्स उत्तरपुरथिमेणं अरुणप्पभे विमाणे देवत्ताएपिताध्ययन उववन्ने । चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता । महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ ५॥ निक्खेवो ।। सत्तमस्स अङ्गस्स उवासगदसाणं तइयं अज्झयणं समत्तं ॥ | ॥१०९॥ आनन्द श्रावकनी जेम आराधे छ यावत् अगीयारे प्रतिमानुं आराधन करे छे. ___ त्यार बाद चुलनीपिता श्रमणोपासक ते उदार तप वडे कृश थयो अने (काळ करी) कामदेवनी जेम यावत् सौधर्म देवलोकमा | | सौधर्मावतसंक विमाननी उत्तरपूर्व दिशाए अरुणप्रभ नामना विमानने विशे देवपणे उत्पन्न थयो. त्यां चार पल्योपमनी स्थिति | कही छे. यावत् ते महाविदेह क्षेत्रने विशे सिद्ध थशे. निक्षेप कहेवो. . सातमा उपासकदशांगना त्रीजा अध्ययननो अनुवाद समाप्त.
SR No.600279
Book TitleUpasakdashanga Sutra
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAbhaydevsuri
Publication Year
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy