SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 66
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ RAIL नैपेधियां भुवनमः श्रीदे - त्य श्रीधर्म० संघाचार विधौ ॥३८॥ महियजलही मरोविष निहयविसमतरकरणो। दोसुम्मूलणरसिओ रविव हारुद पघरगुणो ॥२५॥ एणपरिग्गहरहिओ विरइअसा- रंगसंगहो सययं । विहियसयलक्खनिजओ एगसंसारभयभीओ ॥२६॥ तो कुमरो सो य निवो गंसूणं तत्थ नमिय सरिपए । उवविसइ उचियठाणे तो सूरी कहइ इय धाम ॥२७॥ "लहिउ सुदल्लह नरभवाइमामम्गिमित्थ भवहराए । सदंसपपरिगट्ठा मा दुहिया भमह कुम्मन्न ।। २८। हरपरिमियत्तणा अवि लहिज ससिदंसणाइ सो कुम्मो। न उ पुणचि जओ बोहिं भवणंतता अकयसुको ॥२९॥ ता सोउमिमं समं अरिहं देवो मुसाहुणो गुरुणो। जिणपन्नत्तं तत् इत्थ पहाणंति कुणह मई ॥२९॥ भणियं च.-"मुत्तूण जिणं मुत्तण जिणमयं जिणमयट्ठिए मुत्तुं । संसारकत्तवारं चिंतिजंतं जगं सेस।३। महंगणमुद्धिकर कायदा बंदणा जिणाण सया। तिनिनिसीहाइदसगं तत्थ य नेयं जहाविहिणा ॥३१॥" अह भणइ भुषणमल्लो भयब ! कह मुछि ओ ममं दट्टुं ?। समयणरमणिवियारे कहं व पुरिसोवि कुणइ इमो॥३२॥ भणइ गुरू माद ! पुरा सीहपुरे आमिरयणपारनियो । गंगव सुई सुदया तस्स पिया मयणरेहत्ति ॥३३॥ अलियविलीयविरत्ते कइआइ निवमि माऽणुरत्तावि । उबंधेऊण मया अवमाणदुहं असहमाणा॥३४॥ जओ-अलियाववायअभिवृमियस्स जीवस्स सुद्धहिय यस्म । होर दहंतस्स पुणो चंदणरससीयलोऽग्गीवि॥३५॥ देवञ्चणदाणदयाण सुद्धभावाउ सा इहुप्पण्णा । सिद्धत्थपुरे सुंदरनिरा मूलनक्खत्ते ॥ ३६ ।। अह सहसा कालगओ राया जमे इमी तो कुणा । सुमइ अमचो पयडियपुत्ततरजअमिसेयं ।। २जो मरिण रयणसारो जाओ सि तुम इहागए दिट्टे । पइ पुत्वभवन्भासा एईए पसरिओ नेहो ॥३८॥ किं मह इममि पीई एवंति इमीइ विमरिसंतीए । जाए जाईसरणे तं जायं जं तए पुढे ॥३९॥ हर्त संसारसुई नाओ दइयरस नेहपरिणामो। दिट्ठो मालवदेखो खट्टा मंडा य अग्घाणा ।। ४० ।। इअ भणिय मूलदेवो . fil॥ ३८॥
SR No.600278
Book TitleChaityavandanbhashyam
Original Sutra AuthorDevendrasuri, Dharmkirtisuri
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1988
Total Pages490
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy