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________________ मरीचिदृष्टान्त: चैत्य श्रीधर्मसंघाचारविधौ ॥३०९|| णा दोनि । हरिय। अग्गिसिहोर समणिमाला। संतं ॥५०॥ चित्तण संकलं सो वामगहत्थेण अंछमाणाणं । मुंजिज विलिम्पिज व ते तंबुठिया न चायति ॥५१॥ विण्ड तिविट्ठ दुविठु संयंभु पुरिसुत्तमे पुरिससीहे । तह पुरिसपुंडरीए दत्ते लक्खमण कण्हे य ॥५२॥ विण्हुबलजम्मनयरे पोयणपुरवारवईतिगऽस्सपुरं । चकपुरं वाणारसी रायगिहं महुरनयरी य ॥५३॥ हरिमायाउ भिगावइ उमा य पुहवी य सीय अम्मयया । लच्छिवई सेसई केगई देवई चेव ॥५४॥ हवइ पयावइ बंभो रुद्दो सोमो सिवो तह सिबो य । अग्गिसिहो य दसरहो वसुदेवो विण्हु| बलपियरो ॥५५॥ कासवगुत्ता इक्खागवंसजा पउमलक्खणा दोन्नि । हरिवंसकुला गोयमगुत्ता सेसट्ठजुयलाओ ।। ५६ ।। चकि- | द्धरिद्धिवलिया चक्कधणुगयाप्तिसंखमणिमाला। सग रयणा गरुडझया नीलतणूसी(पी)यवसण हरी ॥ ५७ ॥ विण्हुबलदेहमाणं असीइ सत्तरी य सहि पन्नासा । पणयाला गुणतीसा वीस सोलस दस धणूणि ॥ ५८ ॥ हरिआउ वरिसलक्खा चुलसी दुगसयरि सट्टि तीस दस । सहस्साई पंचसट्ठी चउप्पन्ना बारसेगं च ।। ५९ ॥ पढमो अपइट्टाणे पंच य छट्ठीइ पंचमी एगो । एगो य चउत्थीए चरिमहरि वालुयपभाए ॥६०॥ सेयंसंमि तिवट्ट वसुपुजि दुविट्ठ सयंभु विमलंमि। पुरिसुत्तमो अणंते धम्मजिणे पुरिससीहहरी ॥६१।। अरमल्लिअंतरे सुभुम मल्लीए पुरिसपुंडरिय दचा । मुणिमुन्वयनमि अंतर लक्खमणो कण्ह नेमिमि ॥६२॥ ॥६२॥ चक्किदुर्ग हरिपणगं चक्की पण केसवो य चको य। केसब चक्की केसव दुचकि केसी य चकीय ॥६॥ जिण चक्कीदुग अड जिण जिणहरिपण दुचक्कितिजिण हरि चक्की। हरि जिण जिण जिणचक्की चक्कि चक्किजिण हरिचक्की जिणा॥६॥ हरिजिट्टभायरो नव बलदेवा अयल विजय भद्दा य । सुप्पम सुदंसणाऽऽणंद नंदणा राम बलभद्दा ॥६५॥ बलजणणीओ भद्दा सुभद्द मुप्पह सुदंसणा विजया । विजयंती य जयंती अपराजिय रोहिणी चेव ॥६६॥ हरिअद्धंतपुराईबला बला नीलवसण ताल । TRAIPUR Heimaan Kumarilnitin ( ॥३०९॥
SR No.600278
Book TitleChaityavandanbhashyam
Original Sutra AuthorDevendrasuri, Dharmkirtisuri
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1988
Total Pages490
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size12 MB
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