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श्रीदे चैत्यश्री धर्म० संघाचारविधौ ॥३१॥
झया । हलमुसलवामकुंडलमणिमालारयणी सेयतणू ॥६७॥ पंचासी पन्नत्तरि पणसट्ठी पणपन्न सत्तरसमलक्खा। पणसि पणट्ठी 0 मरीचिपनरस सहस सय बारसवलाऊ ॥६८|| अट्ठ बलदेव सिद्धा नवमो उ दसायराउ बंभ चुओ। नियमायकण्हजियममतिथि इह ।
दृष्टान्तः सिज्झिही भरहे ॥६९॥ चउपनुत्तमपुरिसा इह एवं इंति जीवपन्नासं । नवपडिविण्हहि जुआ तेसहि सलागपुरिस भवे ॥७०॥ इह | आसगीय तारग मेरय महु केढवे निमुंभे य । बलि पल्हाए रावण जरसिंधू हुति पडिविण्हू ।।७१॥ पुन्बुत्तहरीण अरी एए बलसामिणो य चक्कधरा । पजंतसमयंमि य चक्कि हरिहया नरयमुवयंति ॥७२॥ भणियं च-"अनियाणकडा रामा सव्वेविय केसवा नियाणकडा। उडंगामी रामा केसव सब्वे जहोगामी ॥७३॥ पणपती तीसघरा तिरि उडूंछ चउतीसरेहाहि । आइधरपणगि अरिहंत चक्की हरि नाममाणाउ ॥ ७४ ॥ आइपपंतीइ जिणा पनरस दो सुन्न तिजिण सुन्नतिगं । दोनि जिणा सुन्नजिणा सुन्नजिणो सुन्न जिण सुन्नं ॥७५॥ वीयाइ दुचक्की सुत्र तेर पण चक्कि सुन्न चक्की य । दोमुन्न चक्किसुन्नं दुचक्किसुन्न चक्किदुमुन्नं ॥७६॥ तियपंती दस सुन्नं केसवा पंच पंच सुन्न हरी । सुन हरि दोसुन्ना हरि दोमुन्ना हरि तिसुन्ना ॥७७॥ भरहुसहा सगराऽजिय समग मुणिपउम नेमिहरिसेणा। सिजसाइतिवट्ठाइ पणसमं नेमिकण्हा य ॥७८॥ अडसंभवाइ संति वितिग मल्लिपासद्गपिहुघरा एए। तिचउ अडिगार वारस चक छसगट्टमहरी य ॥७९॥ मघवसणं धम्मतित्थे अरनमिनेमीण सुभुम जय बंभा । अरतिस्थि पुरिसपुंडरिय दत्त लक्खणुसुवयतित्थे ।।८०॥ पणसय घणुपन्नध्वसु दस पंचसु पण अढाइ एगूणा ! चरगतीसतीसे गुचीस अडवीस छब्बीसा ॥८१॥ पणवीस तीस सोलस पनरस बार दस सत्त धणूणि नव । सगरयणी तणुमाणं दुतीसघर एस तह आऊ ||८२॥ चुलसी विसयरि सट्टी पंन चत्ता तीस वीस दस दु इंगं । पुब्बलक्ख वरिसलक्खा चुलसी विहत्तर सहि तीस दस ॥ ८३ ॥
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MANNA