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श्रीदे
मरीचि.
चैत्यश्री धर्म० संघाचारविधी ॥३०८॥
पण्णसय सह दुचच सद्वेगचत्त पणतीसा । तीस अडवीस वीसा पनरस वारसयधणुतणुणो ॥ ३४ ॥ निवाऊ चुलसी विसयरि|| | पुचलक्खाण तिएग समलक्खा । पणनवइ चुलसी सट्ठी तीस दस तिसहस विति सत्तसया ॥३५।। अड चक्की पत्त सिवं सुभूम
दृष्टान्तः | बंभो य अप्पइटाणे । मघवं सणंकुमारोसणंकुमारंगया कप्पं ॥३६॥ उसमे भरहो अजिए सगरो मघवं सर्णकुमारोय। सिरिधम्मसंतिअंतरि संतिकुंथुअरजिण चको ॥३७॥ अरमल्लिमज्झि सुकुमो सुवए पउमो नमिम्मि हरिसेणो । नमिनेमिअंतरि सुजओ नेमिपासंतरे बंभो ॥३८॥ नेसप्पे पंडुयए पिंगलए सव्वरयण महपउमे । काल महकाल मागव संखे चक्कीण नवनिहिणो ॥ ३९ ॥ पलिओवमाउ तन्नामसुरगिहा वेरुल्लियमणिकवाडा। ककेयणमयमञ्जूससंठिया जण्हवीइ मुहे ॥४०॥ परधनभूसणमणीवत्यकालद्धजुट्ठनविही । चकहाठिया जोयण अड नवबारुच पिहुऽडदिहा ॥ ४१॥ सेणावइ गाहावद पुरोहि वहइ गयत्थिहयचक। दंडासि छत्तकागिणि चम्माणि पणिदिगिंदी सग ॥४२॥ असि बचीसंगुल. दुकर चम्मु वामसम चक्क छगुदंडं । हुति पुण बारजोयण चम| छत्ता चकिणा पुट्ठा ।।४३।। चउरंगुलप्पमाणो सुवन्नवरकागिणी छलंसो य । चउरंगुलमणि तस्सद्धवित्थडोरयणचउदसगं ॥४४॥||| जक्ख सोल सोलसहसद्गुणानि निवि३२यर३२ कम३२ वेस३२ देसपुरा । छबबइ कोडिसुइडा गयहयरहचकचुलसीई ॥४॥ पचीससहस्सा नाडयाण बचीसविहिनिबद्धाणं । सूबा तिसयतिसट्ठा अद्वार सेणी पसेणी य ॥४६॥ कब्बडमडंबचउवीससइस दुतिगुणिय पट्टणाइपुरा । छप्पन अंतरोदग गुणवत्र कुरज तह भरहे ।। ४७॥ छबबई गामकोडी दोणमूहा९९ऽऽगरयर० खेड१६ संवाहा १४। नवनवइ वीस सोलस चउदसहसाइ छक्खंडा ॥४८॥ एयाण वियस्सवि दसहियसयदेसपुरदुसेढिस्स । सामिचाइ करता चक्कधरा हुँति इय बलिणो ॥ ४९ ॥ बचीस निवसहस्सा सबबलेणं तु संकलनिबद्धं । अञ्छंति चकवट्टि अगडतडमी ठियं ||0|