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मरीचिदृष्टान्तः
श्रीदे. चैत्यश्रीपर्म संघाचारविधौ | ॥३०६॥
बलहरिपडिहरि तह किंपि जंपेमि ॥३२॥ तथाहि-नधिय जिणं वुच्छं जिण १ चक्कि २ हरि ३ बलाणनाम१पुररपिअरो४|| सुमिण५ कुल६ गुच७ वन्ने८ माणा९यु१० गई११ तराईणि१२ ॥१॥ उसभो अजिओ संभव अभिनन्दण सुमह सुप्पह उपासा । चंदप्पह सुविहि सीयल सिजंसो वासुपुज्जो य ॥२॥ विमलमनंतइ धम्मो संती कुंथू अरो य मल्ली य। मुनिसुव्वय नमि नेमी पासो | | वीरो य जिणनामा ॥३॥ जम्मपुरी दो विणिया सावत्थी दो अउज्झ कोसंबी। वाणारसी चंदउरी कायंदी महिलपुरं च ॥ ४ ॥ सिंहपुर चंप कंपिल्लउज्झ रयणउर तिगयपुर मिहिला। रायगिह मिहिल सोरियपुराणारसी य कुंडपुरं ॥५॥ नाही जियभनु जिआरि संवरो मेह घर पईट्ठनियो । महसेन सुगीव दढरथ विण्हू वसुपुज्ज कयवम्मा ॥६|| सिंहरह भानु विससेण सूर सुदरितग कुंभ य सुमिचा। विजये समुद्दविजयाऽऽससेण सिद्धत्थ जिणपिअगे ।। ७॥ मरुदेवी विजयादेवा सेणा सिद्धत्थ मंगल मुसीमा । पुहबी लक्खण रामा नंदा विष्र जया सामा ॥८॥ सुजसा सुन्वय अइरा सिरिदेवि पभावई य पउमाई । वप्पा मिया य वामा तिमलादेवी य जिणमाया || गयरसहसिंहअभिमसेय दाम ससि दिणयरं झयं कुम्भं । पउमसर सागर विमाणभवण रयणग्गि सुमिणत्ति ॥१०॥ निरउबट्टाण इदं भवणं सरगच्नुआण उ विमाणं । वीरुसहसेसजणणी नियंसु ते हरिवसहगयाई ॥११॥ दुनरय कप्पगिविजा हरि य तिनरयविमाणएहिं जिणा : पढमा चक्कि दुनरया वला चउसुरेहि चकिबला ॥ १२ ॥ जिणचक्कीणं जणणी नियंति पउदस मपाइ वरसुमियो समवतिभएमा हरिदलपहिरिमंडियमाया ॥१२ नोरमत हार ससंभवा नेमिसुधया दोकि कासवगुता इक्खागवंसजा सेलयाचीसं ॥१४॥ उमबसुपुञ्ज रत्ता मसिमुविही लेय नमिमुनी काला । पामोगल्ली नीला कमयनिहा खोल से जिणा ||१५|| पाणधणुमर पलहसु दम पणमु पनमय धणुदासी । नवसत्तकस्सेहे आयंगुलिवीससउ सव्वे
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