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________________ विक्रमसेनकषा लिया | स पिउपाहनपरा निग्गयो अमरिसेप । पचो कमेष एग पलि पल्लीवई वत्व ॥ ७॥ तस्सागिइडमडमणिसवयनरपणाहर INबिजोवाई। पहिबई मह मोह पितु सयां मुहिजो ॥कयादि हरिषदका विवातिर मि पसिनाईमि। मिलज-| पर्व० संघा पापपरयो जाबो सो व तत्व पर ॥९॥ अवस्पसचसंपायपायउपजमानगुन्हरिसो। पीवालावीसखियपहनणर्वचारविधी पाणवणो ना पपईइविय निस्संसचिडओ पावषत्वबुद्धी य । किंपुष तबिहबहुपावपयइजणजनियसंतोसो ॥११॥इचो ॥२७॥ इसमपुराजो बेसमणो नाम सत्यवाहवरो । उग्पोसणपुर पलिय विविहजगनिवइसंजुचो ॥१२॥ बहुपणियपुबखरकरहवसह गुरुमंतिवेसरसमूहो । नियजीवियं व सत्वं महया बचेण रक्खेतो ॥१॥ करतोसो बहुपणिया मणिवइमा सिरिसमंतभरे. जाभपुरं पहचलिओ तं पल्लिपएसमशुपचो ॥ १४ ॥बह उडामरतडिदंडडंबरो जलहरो जलबरेष। सबस्य पसरिएणं करेइ बहिन महिवलयं ॥१५॥ तो मुणिवइमा मुणिणो मणिया मो नियह महिपलं एवं परमहनवयरपूरवससहससंकिचं ॥१६॥ एवारिसंमिकाले समया नेव विहरि जुतं । तो इह पल्लीए उबस्सय किंपि बारह ॥१७॥ इस जाकर्मिति गुरुयोता विकमसेणसंतिया पाडी । पडिया तीह खषणवि सत्यो गलहत्विजो सबो ॥१८॥ नवरं विकमसेणस्स परणामिहपहायपुरिसेन । पिउणो गुरुचि कार्ड मिल्लेहिंरक्खिया गुरुणो॥१९॥नियनियपल्लिपएसे मुलाएगमिसाचियनिहमि । विवाणा सह सपियो ठंति वहि विविहतवनिरया ॥२०॥ सिरिमंसमंतभहस्स परिणो सुकमाणजोगेष अबदिये उप्पचं संपूर्ण केवलं नाणं ॥२१।। अह सबिहियसुरेहिं पहयाओ दुंदुहीउ गयमि। पणवमसुमबुद्दी मुबामणमणिरमसलउला॥२२॥सुरसुंदरीहिं नई पयदियं तय पछिनाहेण । पुड्डापल्डिनरा किमिगति तेवि तंजमाता॥२॥ बबुबाहनिरिक्सनवावाराजाव किंपि बहु विति।। ॥२७॥
SR No.600278
Book TitleChaityavandanbhashyam
Original Sutra AuthorDevendrasuri, Dharmkirtisuri
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1988
Total Pages490
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size12 MB
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