SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 289
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्कन्दकमुनिवृत्त चैत्यश्री धर्म संघाचारविधी ॥२६॥ तएणं से खंदए अ०२ समणस्स३ तहारूवाणं थेगणं अंतिए सामाइयमाइयाई इक्कारस अंगाई अहिन्जिता बहुपडिपुनाई दुवालस वासाई सामनपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झोसित्ता सट्टि भनाई अणसणाए छेइत्ता आलोइयपडिकंते समाहिपत्ते आणुपुडीए कालगए ! तएणं ते थेग भगवंतो खंदयं अणगारं कालगयं जाणित्ता परिनिव्वाणवत्तिय काउस्सग्गं करेंति २ पत्तचीवराणि गेण्हंति २ विउलाओ पचयाओ सणिय २ पञ्चोरुहंति २ जेणेव समणे ३ तेणेव उवागच्छंति २ समणं ३वंदंति नमसंति २ एवं वयासी-एवं खलु भो देवाणुप्पियाणं अंतेवासी खंदए नाम अणगारे पगइमद्दए पगइउवसंते पगईय पयणुकोहमाणमायलोहे मिउमद्दवसंपन्ने अल्लीणे भदए विणीए, से णं देवाणुप्पिएहिं अन्भणुनाए स० जाव खामिचा अम्हेहिं सद्धि विउलं पव्वयं जाव कालगए, इमे य से आयारभंडए । भंतेत्ति भय गोयमे समणं ३ वंदइ नमसइ २ एवं वयासी-एवं खलु भो देवाणुप्पियाणं अंतेवासी खंदए णाम अणगारे कालमासे कालं किच्चा कहिं गए कहिं उबवण्णे, गोयमा ! समणे३ भयवं गोयम एवं | वयासी-एवं खलु गोयमा! मम अंतेवासी खंदए नाम अणगारे पगइभद्दए जाव से गंमए अन्भणुनाए जाव कालं किच्चा अच्चुए। कप्पे देवत्ताए उववण्णे, तत्थ अत्थेगइयाणं देवाणं बाबीसं सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता,(खंदयस्सविसाचेव)से णं मंते! खंदए ताओ देवलोयाओ आउक्खएणं टिईक्खएणं भवक्खएणं अणंतरं चयं चइता कहिं गमिदहि कहि उववजिहिइ , गोयमा! महाविदेहे वासे सिज्झिहिंई बुझिहिइ मुचिहिइ परिनिव्वाइहि सबदुक्खाणमंतं करेहिइ । एवं स्कंदकसाधुपुंगवपुरः श्रीगौतमेनोदिताः, श्रुत्वाईद्गुरुतादिसर्वपदवीः श्रीवर्द्धमानप्रभो। वुध्यध्वं भविका: स्फुटं तदरिहद्विम्वेष्वपि स्थापनाचार्यत्वादि तथा क्षमाश्रमणकेर्यादेविधि तत्पुरः।।१।। इति स्कंदमुनिकथा । इति श्रीमदईतामाचार्यत्वादिविधौ स्कन्धमुनिसंबन्धः। (प्रत्यन्तरे वियं व्याख्यैवं ॥२६॥
SR No.600278
Book TitleChaityavandanbhashyam
Original Sutra AuthorDevendrasuri, Dharmkirtisuri
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1988
Total Pages490
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy