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________________ श्रीदे बत्यश्री- धर्म संघाचारविधी ॥२४॥ तो यचं किमहिअिन्जा ?, गोयमा! इरियावदिया,से भय केणटेणं एवं वुच्चइ जहाणं पंचमंगलमहामुयक्खधं अहिन्जित्ता मीसपुणो हरियारहियं अहीए, गोयमा! जे एम से णं जया गमणागमणाइपरिणामपरिणाए अणेगजीवपाणभूतसत्ताणं च अणुव HU पत्रिकी उत्तपमते संघट्टणं अवदावणं किलामणं काऊण अणालोयअपडिकते चेव असेमकम्मरम्बयहाए किंचि चिइवंदणमझायझाणाइएसु अमिरमिज्जा तया से एगग्गचित्तसमाही हविज्जा न बा, जया उण गमणागमणाइअणेगअत्तपावारपरिणामासचित्तयाए केई पाणी तमेव भावंतरमच्छड्डिय अट्टहट्टझवसिप य कंचि का लक्षणं विरतिक्षा ताहे न तस्स फलेण विसंवइजा, जया पुण किंचिदि अन्नाणमोहपमायदोसेणं सहसा एगिदियाईणं संघदणं परितावणं वा कर हविजा तया य पच्छा हा हा दुटु कयं कम्म अम्हेहिं घणगगदोसमोहमिच्छत्तअन्नाणंहिँ अदिट्टपरलोगपमाहिं करकम्मनिम्धिणेहिति परमसंवेगमावण्णे सुपरिफुडं आलोइत्ताणं निंदित्ताणं गरिहित्ताणं पाछितमणुचारना नीमल्ल अगाउलचित्त असुटकम्मक्खयहा किंचि आयहियं चिइवंदणाई अणुट्टिा तया उयटे चैव उवउत्ते से भविजा, जा पा से तय होउत्ते भविजा तया तस्सणं परमेगग्गचित्तसमाही हविजा, तया क्षेत्र मवजगजीवपाणभृयसत्ताणं आंदट्टसंपत्ती हविजा, ना गोयमा! णं अन्यडिकंवाए इरियावदियाए न कप्पड चेव किषि पिइवंदणसज्झायाइयं काउं पलागारममिकन्या, पाप अट्टणं मोयमा ! एन वुनइ जहा णं गोयमा! ससुत्थत्तोमयं पंचमंगलं थिरपरिचियं काऊणं नो दरियाक्रिय अज्झीएज"नि, भाध्ये न्वे- “शामिसयाओ कार पुरपूयकरणहेऊओ। विहिण, इरियावाहियं परिकमिय पदति पणिवायरस"ति,तथा "जणि इरियापहियावण्याई तेण तीद पुहं तु । चिइबंदणमझायाइ कीरई भणियमिक किंच-पहिनारिया हियाण कापड काउंचिवंदणमझायाह फलासायामिकखीणं"ति, ॥२४२।।
SR No.600278
Book TitleChaityavandanbhashyam
Original Sutra AuthorDevendrasuri, Dharmkirtisuri
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1988
Total Pages490
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size12 MB
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