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________________ श्रीदे संबंध: अस्याः प्रथमे खण्डे भणितं-"तिन्नि महिमाओ करमाणा ते हरिसेण कालं गमंति"ति, तथोत्तराध्ययनहत्तौ-दो सासयजत्ताओअग्रपूजायां चेत्यश्रीतत्थेगा होइ चित्तमासंमि । अट्ठाहियाइमहिमा बीया पुण अस्सिणे मासे ॥ १६ ॥ एयनिमित्तं तह अञ्ज विजजाबोवयारकजेणं ।। हरिकूटधर्म संघा-N होहि अखिलविजाहरसमवाओ अजउत्त! इ६ ॥ १७ ॥ अह नमिय जिणहराई जहारिहावासुरेसु खयरेसु । महिमाइ एगदिवसे चारविधी पबोहिया जिणगिहपईवा ॥१८॥ तथा च वमृदेवहिंडो-"एवं खयरविंदेसु उवसोहिए सबओ समंता धरणुम्भेयजिणाययणे महि॥८७॥ माए गयं दिवस, तओ अत्थमिए दिणयरे उद्धायतमइथियाए संझाए अग्गाहियाओखयरेहिं जिणाययणसंसियामो दीवपंतीओ, दीवसयसहस्सेहिं पञ्जलिओ इव महीहरो संदीविउं पयत्तो"त्ति । अह वसुदेवो सपिओजिणप्पणामकयवंदणो तत्था पिच्छंतो पिच्छणयं अलक्खिओ भमइ खयराणं ।।१९।। एगत्थ गवलवन स खेरि नियइ वेरुलियमालं । नचंति जिणजिणजणियभत्तिमुत्ति | धुर्व रति ॥२०॥ अत्र च वसुदेवहिंडि:-"तत्थ य सियसुहुमवत्थपरिहियाए पियदसणाए विजाहराय वुडीए भणियं-पुत्ति ! वेरुलियमाले! स ताव तुमं अज नियमोववासकरिसिया, तहावि अवस्सं च तुमे अञ्ज भगवओ सयलतिहुअणमाणखंभस्स उसभसामिणो नागरण्णो य सोववासाए नट्टोवहारो दाययो, तं उयर पुत्ति । नइसजत्ति, तओ दासीए अन्भत्थिया विणिग्गया पट्टजवणियंतराओ मणोहरा महाकना, अविय-सिहिगलयनीलमरगयसरिवण्णा सा उवागया तं तु । पत्ररतरमुरवचंद्रा मणोरहं रंगवरभूमि ॥२१॥ जिणपडिमाण य कयप्पणामा पणच्चिया गीयवाइयाणुरूवं, अह मयकरणसंपउत्तं बत्तीसइमेयं नई उवदंसियं, समइत्थियाए अ निसाए समुग्गए दिणयरे य सम्मत्तपत्रमहिमं काऊणं गयाइं सनगराभिमुहाई खयरवंदाई," वसुदेवो पुण गोसे | कयसामयाइसावयावसओ। काउं पञ्चकखाणं देवे वंदइ इय धुईहिं ।। २२ ॥ तथा-"देवेन्द्रवन्यो जिनसर्वविद्यानंदं विधत्ते त्वयि anANIIIMSUNAMINATIONAL DHAmittitue finantline CanadaNARISAMPiles ।।८७॥
SR No.600278
Book TitleChaityavandanbhashyam
Original Sutra AuthorDevendrasuri, Dharmkirtisuri
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1988
Total Pages490
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size12 MB
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