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________________ तहप्पगारं उग्गहं नो उगिहिज वा पगिहिज्ज वा ॥ से भिक्खू वा २ से जं पुण उग्गहं जाणिजा थूणंसिवा ४ तहप्पगारे अंतलिक्खजाए दुब्बडेजाव नो उगिहिज वा २.२॥ से भिक्ख वा २ से जं पुण उग्गहं जाणिज्जा कुलियंसिवा ४ जाव नो उगिहिज्ज वा २,३॥ से भिक्खू वा २ से जं पुण उग्गहं जाणिज्जा खधंसि वा ४ अन्नयरे वा नहप्पगारे जाव नो उग्गहं उगिहिज्ज वा २, ४ ॥ से भिक्ख वा २ से जं पुण उग्गहं जाणिज्जा ससागारियं सागणियं सउदयं सइत्थि सखुइपसुभत्तपाणं नो पन्नस्स निक्खमणपवेसे जाव धम्माणुओगचिंताए. सेवं नच्चा तहप्पगारे उवस्सए ससागारिए जाव सखुडगसुभत्तपाणे नो उवग्गह उगिहिज्ज वा २,५॥ से भिक्ख वा २ से जं पुण उग्गहं जाणिज्जा गाहावइकुलस्स मज्झमझेणं गंतु पंथे पडिबड वा नो पन्नस्स जाव सेव नच्चा तहप्पगारे उवस्सए नो उग्गहं उगिहिज्ज वा २, ६ ॥ से भिक्खू वा २ से जं पुण उन्गहं जाणिज्जा इह खल गाहावई वा जाव कम्मकरीओ वा अन्नमन्नं अक्कोसंति वा तहेव तिल्लादि सिणाणादि सीओदगवियडादि निगिणाइ वा जहा सिजाए आलावगा, नवरं उग्गहवत्तव्यया ७॥ से भिक्ख वा २ से जं पुण उग्गहं जाणिजा आइन्नसंलिक्खे नो पन्नस्स जाव चिंताए तहप्पगारे उवस्सए नो उग्गहं उगिहिज्ज वा २, ८ ॥ एवं
SR No.600274
Book TitleAcharanga Sutra Satikam Part 02
Original Sutra AuthorJinendrasuri
Author
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1980
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size8 MB
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