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________________ ॥ ७८३ ॥ ܀܀܀ णीए उवेहिज्जा, जाणं वा नो जाणंति वइज्जा, तओ संजयामेव गामाणुगामं दृइजिजा १। से भिक्खू वा २ गामाणुगामं दृइजमाणे अंतरा से पाडिपहिया उवागच्छेजा, ते णं पाडिपहिया एवं वहज्जा - आउसंतो समणा ! अवियाई इत्तो पडिवहे पासह उदगपसूयाणि कंदाणि वा मूलाणि वा तथा पत्ता पुष्फा फला, पोया हरिया उदगं वा संनिहियं अगणिवा संनिवित्तं से आइक्वह जाव दूइज्जिज्जा २ ॥ से भिक्खू वा २ गामाणुगामं दूइजमाणे अंतरा से पाडिपहिया उवागच्छेला ते णं पाडिपहिया एवं वइज्जा आउसंतो समणा ! अवियाई इत्तो पडिव हे पासह जवसाणि वा जाव से णं वा विरूवरूवं संनिवि से आइक्खह जाव दूइज्जिज्जा ३ ॥ से भिक्खु वा २ गामाणुगामं दूइजमाणे अंतरा पाडिपहिया जाव आउसंतो समणा ! केवइए इत्तो गामे वा जाव रायहाणि वा से आइक्वह जाव दूइजिज्जा ४ ।। से भिक्खू वा २ गामा गामं दृइजमाणे अंतरा से पाडिपहिया एवं वइज्जा आउसंतो समणा ! केवइए इत्तो गामस्स नगरस्स वा जाव रायहाणीए वा मग्गे से आइक्खह, तहेव जाव दूइज्जिज्जा५ ।। सू० १३९ ॥ 'से' तस्य भिक्षोगच्छतः प्रातिपथिकः कश्चित्संमुखीन एतद्न यात्, तद्यथा - आयुष्मन् ! श्रमण ! अपिच किं भवता ܀܀܀܀܀ ܀܀܀܀܀܀܀܀ ॥ ७८३ ॥
SR No.600274
Book TitleAcharanga Sutra Satikam Part 02
Original Sutra AuthorJinendrasuri
Author
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1980
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size8 MB
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