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प्रस्तावना
जैन शासन ए सम्यग् दर्शन ज्ञान चारित्र रूप छे. यथार्थनी श्रद्धा ए मुख्य लक्षण छे. ते यथार्थ जाणवुं ते बीजुं लक्षण छे अने यथार्थ - वर्तन करवुं ते त्रीजुं लक्षण छे. आ सम्यग् रत्नत्रयीना आलंबनो विना कोई चडी शक्तुं नथी तरी शक्तुं नथी. ए आलंबन पकडीने चडनारा अने तरनारा श्री परमार्हत् कुमारपाल महाराजाना चरित्रने अनेक रीते वणी लेतो ग्रन्थ कुमारपाल प्रबंध छे. जेना वचनथी धर्मनी प्राप्ति माटेनी योग्यता, प्राप्तिनुं लक्षण, प्राप्ति थई होय तेनी जवाबदारी अने छेवट सुधी धर्ममां स्थिर रहेवानी खूमारी विगेरे अनेक रहस्यो आ चरित्रमां जोवा मले छे. कलिकाल सर्वज्ञ पूज्य आचार्य भगवंत श्री हेमचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजानी धर्मशासन प्रत्येनी अविहल श्रद्धा अने शासननी प्रभावना रक्षा वि. महान गुणोना परिपाक रूपे श्री कुमारपाल राजानुं आर्हत् तरीकेनुं सर्जन अनुभवाय छे. 4 àม आ कुमारपाल चरित्रना रचयिता श्री वीरपट्टपरंपराधारक पूज्याआचार्यदेवश्री सोमसुन्दरसूरीश्वरजी म. ना शिष्यरत्न महोपाध्याय श्री जिनमण्डन गणिवर छे.
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तेमणे आ कुमारपाल प्रबंध ग्रन्थ वि. सं. १४९२ मां बनाव्यो छे. तेमणे १४९९ मां श्राद्धगुण विवरण अने धर्मपरीक्षा ग्रन्थ बनाव्या छे. गोवींद श्रावके तारंगामां नवीनविंब आरासणना पत्थरमां घडावी प्रतिष्ठा करावे ते समये जिनमंडन मुनिने महोपाध्याय पद अपायुं हतुं श्री सोमसुंदरसूरि म. ने बहोळो शिष्य समुदाय हतो मां
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