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________________ ॥॥ 6000-680dean2-6000 श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला-ग्रन्थाङ्क: २२५ श्री महावीरजिनेन्द्राय नमः ।। श्री मणिबुद्ध्याणंदहर्षकर्पूरामृतसूरिभ्यो नमः । पूज्यपादसूरिपुरन्दराचार्यदेवेशश्रीहरिभद्रसूरीश्वरविरचितः उपदेशपद-महाग्रन्थः सटीकः । (तस्य द्वितीयो विभागः) संपादकः संशोधकश्च :- तपोमूर्ति पूज्याचार्यदेवश्रीविजयकर्पूरसूरीश्वर-पट्टधर-हालारदेशोद्धारक सिद्धांतरक्षक - पूज्याचार्यदेव श्री विजयामृतसूरीश्वर-पट्टधर-पूज्याचार्यदेव श्री विजय जिनेन्द्रसूरीश्वरः सहायकाः,- परमशासनप्रभावक व्या. वा. सूरिगणशिरदार तपागच्छाधिनायक पूज्याचार्यदेवेश श्रीमद् विजय रामचन्द्रसूरीश्वराणां । आज्ञानुवति तपस्वीरत्न पूज्य मुनिराजश्री कमलरत्नविजय सदुपदेशेन रतलाम श्री दान प्रेम रामचन्द्रसूरीश्वर ___आराधना भवन स्थाराधकश्राविकासमुदायो ज्ञानद्रव्यतः प्रकाशिका-श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखाबावल - शांतिपुरी (सौराष्ट्र) HI-6000000000000000000000000000000000000
SR No.600269
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Satik Part 02
Original Sutra AuthorJinendrasuri
Author
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1991
Total Pages448
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size8 MB
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