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________________ ॥२१७॥ गप्तः-) एसा वसुंधरा वीरलोयभुजा न उ कमेण ।।३७।। णायमणेणं जह कालपत्तमस्सत्थि वयणविन्नाणं । कस्सेस सुओ पुच्छइ कहियं परिवायगस्सत्ति ॥३८।। चाणकण निवेइयमेसो परिवायगो अहं चेव । वच्चामो रायाणं करेमि तं इय पलाणा दो ।।३९।। मिलिओ अबद्धमलो लोगो उवरोहियं च कुसुमपूरं । णंदेणामंदबलेण सो पलाणो कओ सहसा ।।४०।। लग्गों अणुमग्गेणं नंदो चाणक्यस्स अस्स गओ। कालन्नुणा य तेणं पउमसरे वोलइत्ताणं ॥४१॥ दिन्नं पोइणिपत्तं सीसपएसम्मि चंदगुत्तस्स । जह केणावि न नजइ कयजत्रोणावि एस इमो।।४२।। विहियपुरीसुस्सग्गा सयमवि तीरे सरस्स आयमइ । जा ता पुच्छइ एगेण रे गओ कत्थ चाणको ? ॥४३।। अन्नायतस्स रूवस्स तस्स भणियं चिरं स वोलीणो। अन्ने पुण आयरिया भणंति जाओ सयं रयओ ॥४४।। लग्गो पक्खालेउ वत्थाणि पहाणघोडगगएण । मग्गादवक्कमित्ता पुट्ठो सो आसवारेण ॥४५॥ परिभाविय समयबलं भणियं चिट्टइ सरस्स मज्झम्मि । एसो स चंदगुत्तो चिरं पलाणो य चाणको ॥४६।। तेणावि तस्स हात्थे विहिओ अस्सो असि च भूमिए । मोत्तूणं जा निगुडइ सलिलपवेसट्ठयामुयइ ।।४ ।। जाव य कंचुगमेसो स तेण खग्गेण तओ हओ मम्मे। जाओ जहा परासू चडाविओ चंदगुत्तो तो ॥४८।। तम्मि तुरगे पलाया दोण्णिवि पंथे गयम्मि केवइए। एएण चंदगुत्तो पुट्ठो तव केरिस समए ॥४९।। चित्तं मइ विसए जम्मि दंसिओ तं सि वेरिपुरिसस्स । पडिभणइ चंदगुत्तो एयं मे चिंतियं तइया॥५०॥ अजो चिय जाणइ सव्वमेव जावइ जहा जहा भट्ट । चाणक्कस्सोवगयं कयविस्सासो ममं एसो ॥५१॥ जाओ छुहाकिलंता स चंदगुत्तो बहिं ठवित्ताणं । कत्थइ गामे तब्भत्तकारणा अइगओ मज्झ ॥५२॥ बीहेइ य नंदनिवस्स ॥२१७॥
SR No.600268
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Satik Part 01
Original Sutra AuthorJinendrasuri
Author
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1989
Total Pages438
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size8 MB
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