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________________ श्रोउपदे-* नक्षेप सत्यु । पल्लोया' इति प्रयोताबण्डप्रयोत्तनपतेः । शपदे ।१९२।। KXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX जंघलेखवाहक-अग्नि-अशिवानलगिरिवृत्तान्तविषयेषु चतुर्ष लब्धेषु सत्सु । 'पञ्जोया' इति प्रद्योताचण्डप्रद्योतनृपतेः सकाशात् । 'जियवज्जण जायणया' इति जीवितवर्जनेन वह्निप्रवेशाभ्युपगमात् प्राणत्यागरुपेण कृत्वा या याञ्चा | प्रार्थना तया मोचित आत्मा अभयकुमारेणेति ॥१२८॥ सेट्ठी पवास भजा धिजाइयसंगकुक्कुडगसाहू । सीसं दारगचेडीहर राया समणमाजोणी ॥१२९॥ 'सेट्ठी' इत्यादि । आसि इह वसंतपुरे कोट्ठो सेट्ठी पइट्ठिओ लाए। भज्जा बजा नामेण तस्स तह देवसम्मो त्ति ॥१॥ माहणपुत्तो गिहदेवपूयकारी अईवहियइट्ठो । पुत्तो अईवबालो पियंकरो लक्खणसणाहो ॥२॥ अत्थावजणहेउं पभूयदव्वा कयाई सो सिट्ठी । सोहण दिवसे देसंतरम्मि संपट्ठिओ तेण ॥३॥ भणिया भज्जा तुह तिन्नि संति गेहे सुएण तुल्लाणि । मयणसलाया कीरो कुक्कुडओ रक्खणिज्जाणि ॥४॥ अह सेट्टिम्मि पउत्थे निच्चं सा तेण संगया संती। माहणसुएण जाया लंघियकुलसीलमज्जाया ।।५।। सो निच्चं रयणीए तीए सगासं जया घरं एइ । को तायस्स न वीहइ मयणसलागा तया भणइ ।।६।। वारेइ सुओ जो अन्नियाए दइओ स अम्हवि य ताओ। अवसरवियाणओ एवमप्पणो रक्खणं कुणइ ॥७॥ पयइअमरिसणसीला मयणसलांया बहु परिसवेइ । सा नियमुहदोसाओ पावाए विणासिया तीए ॥८॥ साहु- जुगमन्नदिवसे भिक्खट्टा तग्गिहं अइगयंति । एगात्थ जीवलक्खणवियाणओ कुक्कुडं दटुं ॥९।। कय सव्वदिसालाओ जो सीसमिमस्स खाइ सो राया। नियमा होइ त्ति भणेइ बीयसाहुं पडुच्च इमं ॥१०॥ निसुयं च तेण माणसुएण कडगाइअंतरट्टिएण। भणिया वजा मारेहि कुक्कुडं जेण भक्खेमि ॥११॥ सा भणइ निव्विसेसो सुयाओ एसो न मारणिज्जो १९२।।
SR No.600268
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Satik Part 01
Original Sutra AuthorJinendrasuri
Author
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1989
Total Pages438
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size8 MB
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