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________________ KRXIKEKOKEKOKEXEXEXEXXEXPOKMXEXOXOXOXOKEKUKURE श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थाङ्कः-१९९ श्री महावीरजिनेन्द्राय नमः श्री मणिबुद्ध्याणंद हर्षकर्पूरामृतसूरिभ्यो नमः पूज्यप्रावचनिकसू-रिपुरंदरश्रीहरिभद्रसूरीश्वर-प्रणीतः सूरिशार्दूल-श्रीमन्मुनिचन्द्रसूरि-विनिर्मित-टीकालङ्कृतः ॥ उपदेशपद-महाग्रन्थः ॥ ( प्रथमो विभागः) -: संपादकः संशोधकश्च :तपोमूर्ति पूज्याचार्यदेवश्री विजयकर्परसूरीश्वर पट्टधर-हालारदेशोद्धारक पूज्याचार्य देवधी विजयामतसूरीश्वर-पट्टधरः पूज्याचार्यदेवश्री विजयजिनेन्द्रसूरीश्ररः - सहायकः - परमशासनप्रभावक व्या, वा, सूरिगणशिरदार तपागच्छाधिनायक पूज्याचार्यदेवेश श्रीमदविजय रामचन्द्रसूरीश्वराणां आशानुवात तपस्वीरत्न पूज्य मुनिराजश्री कमलरत्न विजयसदुपदेशेन रतलाम श्री दान प्रेम रामचन्द्रसूरीश्वर आराधना भवन स्थाराधकश्राविकासमुदायो ज्ञानद्रव्यतः । प्रकाशिका-श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखाबावल - शांतिपुरी (सौराष्ट्र) KKeXOXOXOXOKIKEKOKEKEXOXOXOXOKE-KeXOXOXOXOKERA
SR No.600268
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Satik Part 01
Original Sutra AuthorJinendrasuri
Author
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1989
Total Pages438
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size8 MB
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