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शब्दार्थ वय वाला स० सरिखा भ० भंड म०पात्र उ० उपकरण र. रथ प०अतिरथ में ह० शीघ्र आ० आया त.*
तब से वह पु पुरुष व वरुण को ए ऐलाव०बोला प०मार भो भो व०वरुण ना० नागनप्तृकत०तव व वरुण तं. उस पु० पुरुष को व. बोला मो० नहीं मे० मुझे क. कल्पे दे. देवामुमिय अ० नहीं मारने वाले को प० हनने को सु० तुमही पु० पहिले प० मारो त० तब से वह पु० पुरुष व वरुण ए. ऐसा बु. माणस्स जे पुब्बि पहणइ तं पडिहणित्तए अवसेसे नो कप्पइत्ति, अयमेयारूवं अभि. ग्गहं अभिगिण्हइत्ता रहमुसलं संगामेइ। तएणं तस्स वरुणस्स नागनत्तुयस्स रहमुसलं संगामं संगामेमाणस्स एगे पुरिसे सरिसए सरित्तए सरिन्वए सरिसभंडमत्तोव. गरणरहेणं पडिरहं हवमागए।तएणं से पुरिसे वरुणंनागनत्तुयं एवं वयासी-पहण भो वरुणा नागनत्तुया ! तएणं वरुणे नागनत्तुए तंपुरिसं एवं वयासी-नो खलु मे कप्पइ
देवाणुप्पिया! पुब्बिं अहयस्स पहणित्तए तुमं चेव पुब्बिं पहणाहि । तएणं से पुरिसे बडे २ सुभट से रक्षित होने हुने स्थमुशल संग्राम में आये रथमुशल संग्राम में आये पीछे उस वरुण
नामक नाग नप्तृकने ऐसा अभिग्रह लिया कि जो मेरे शरीर पर पहिले प्रहार करेगा उस पर मैं प्रहार: 3 करूंगा. अन्य किसी पर प्रहार नहीं करूंगा. ऐसा अभिग्रह करके वह रथमुशल संग्राम में युद्ध करने
लगा. इस तरह युद्ध करता हुवा वरुण नाग कुमार की सन्मुख कोई समान वय व बचावाला पुरुष
488+ पंचमाङ्ग विवाह पण्णत्ति (भगवती) सूत्र 888
4888 सातवा शतकका नववा उद्देशा 988