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शब्दार्थ १० भगाये ॥५॥ से० वह के • कैसे भ० भगवन् एक ऐसा बु० कहा जाता है म. महाशिला कंटक
संग्राम गो० गौतम म ० महाशिला कंटक सं० मंग्राम में व० रहे हुवे जे. जो आ० अश्व ह. हस्ती जो० | योध सा० सारथि त० तृण से क० काष्ट से प०पत्र से स कंकर से अ० हणाते हैं समर्व तेब्वे जा जाने म. महाशिला से है० मैं अ० हनाया से० वह ते. इसलिये गो गौतम म. महाशिला कंटक सं० संग्राम ॐ ॥ ६ ॥ म. महाशिला कंटक संग्राममें भ०भगवन् ववर्तते क कितने ज०मनुष्य स० लक्ष व० हनाये गो.
भंते ! एवं वुच्चइ महासिलाकंटए संगामे ? गोयमा ! महासिलाकंटएणं संगामे - वट्टमाणे जे तत्थ आसेवा, हत्यीवा, जोहेवा, सारहीवा, तणेणवा, कटेणया, पत्तेणवा, सकराएवा, अभिहम्मति सव्वे से जाणइ महासिलाए हंअभिहए, से तेणटेणं गोयमा ! महासिलाकंटए संगामे ॥ ६ ॥ महासिलाकंटएणं भंते ! संगामे वट्टमाणे कइजण
सयसाहस्सीओ बहियाओ ? गोयमा ! चउरासीइ जणसयसाहस्सीओ वहियाओ॥ भावार्थ वन् ! महाशिलाकंटक संग्राम क्यों कहा गया ? अहो गौतम ! महाशिला कंटक संग्राम में रहनेवाले
अश्व, गज, योधा व सारथी तृण, काष्ट, पत्र व कंकर से हणाते हुवे ऐसा जाने कि एक बडी शिला से
हणाये होवे. इस से अहो गौतम ! इसका नाम महाशिला कंटक संग्राम रखा गया है ।। ६ ॥ अहो भगवन् ! 1- महाशिला कंटक संग्राम में कितने लक्ष मनुष्य मारे गये ? अहो गौतम ! उस संग्राम में चौरासी लक्षा
पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) मूत्र 4.88
62400 सातवां शतकका नववा उद्देशा 8
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