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शब्दार्थ संझा स० सम्यक्त्व १० भ्रष्ट उ. उस्कृष्ट २० हस्त प० प्रमाण मात्र मो० सोलहवी. वीश वर्ष ५०
उत्कृष्ट आ• आयुष्य पु. पुत्र न. पौत्र दौहित्र प० परिवार प० प्रणय २० बहुत गं० गंगा सिं० सिंधु म.ool 8 महानदी के० वैतान्य प० पर्वत नि० आश्रित बा. बहत्तर निः कुटुम्ब बी० बीन बी. बीजमान कि. ]
बिल में रहने वाले भा होंमे ते के भ० भगवन् म. मनुष्य किं. कैसा आ० आहार करेंगे गो० गौतम ते उस काल उ० उस समय में ग• गंगा सि. सिंधुनदी र० रयके रस्ते का वि• विस्तार अ.अक्षखासे 1. प्रमाण मात्र ज. पानी वो वहेगा से उस ज. जल में ब. बहुत म. मच्छ क. कच्छ भा. भरे
सीयायवतत्तएहि, कच्छमच्छएहिं एकवीसं वाससहस्साई वित्तिकप्पेमामा विहरिस्संति ॥
तेणंभंते! मणूसा निस्सीला निग्गुणा निम्मेरा,निपञ्चक्खाणपोसहोववासाउस्सण्णं मंसाहारा, भावार्थ खकले गंगा सिंधु नदी के ७२ बिलमें बीमभूत विलमें रहने वाले मनुष्यों होयेंगे. अहो भमवन् ! उस
समय के मनुष्य कैसा आहार करेंगे ? अहो गौतम ! उस समय में गंमा सिंधु नदी का विस्तार स्थके मार्ग नितना होगा, और अक्ष प्रमाण पानी रहेगा. उस जल में बहुत मत्स्य, कच्छ, वगैरह रहेंगे और
१ गंगा नदी गंगा प्रपात कुंडमें से नीकल कर उत्तरार्ध में गइ है यहां एक २ किनारे पर ९ बिल हैं यों दोनों १ किनारे पर १८ बिल हैं और वहां से वेताढ्य पर्वत को भेद कर दक्षिणार्ध में गई है वहां पर दोनों किनारे पर १८
बिल हैं ऐसे ३६ हुचे, वैसे ही सिंधु नदी के ३६ मीलकर ७२ बिल हुवें.
'248 पंचांग विवाह पण्णनि (भगवती.) मूत्र
*38**> 403 सातवां शतकका छठा उद्देशा +
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