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शब्दार्थ हुवा द० दर्भ से कु० कुश से वे वेष्टित करे अ० आठ म. मृत्तिका के ले लेप से लिंक लिंपे उ..
ऊष्णता द० देवे भू० वारंवार सु० मुका हुवा अ० अगाध अ० दुष्तर पो० पुरुष प्रमाण उ० पानी में प० डाले से• अथ नू० शंकादर्शी मो० गौतम से वह तु० तुम्बा ते उन अ० आठ म० मृत्तिका के है लेपकी गु० गुरुता से भा० भार से स०पानी के त तलको आ० अतिक्रमकर ध० पृथ्वी के त० तल में प०
लेवेहिं लिंपइ, उहं दलयइ भूइं भूई सुक्कं समाणं अत्थाहमतारम पोरुसियांसि उदगांसि पक्खिवेजा ॥ से मूणं गोयमा ! से तुंबे तेसिं अटण्हं । मटिया लेवाणं गुरुयत्ताए भारियत्ताए गुरुयसंभारियत्ताए सलिल
तल मइवइत्ता अहे धरणितल पइट्ठाणे भवइ ? हंता भवइ, अहेणं से तुंबे
होने से व गति परिणाम से, कर्म रहित जीव की कैसे गति होती है ? अहो गौतम ! किसी प्रकार का भावार्थ
आघात व छिद्र रहित सुका हुवा तुम्बे को अनुक्रम से संस्कार करता हुवा कोई पुरुष दर्भ से अथवा कुश से वेष्टित करे और आठ मृत्तिका के लेप से लीपे, एक २ मृत्तिका का लेप करके आताप (सूर्य के ताप) में सुकावे. इस तरह पूर्ण सूके पीछे पुरुष प्रमाण से अधिक, नहीं तीर सके ऐतला व अगाध जल में
उस तुम्बे को डाले. अब अहो गौतम ! वह तुम्बा आठ मृत्तिका के लेपों के भार से व उस की 12 गुरुता से क्या पानी की नीचे जाकर बैठता है ? हां भगवन् ! वह तुम्बा इस तरह लेप कराया हुवाई
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48 अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी ?
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी **
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