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________________ श्री अमोलक ऋषीजी भावार्थ | लेसं देवं, अविसुद्धलेसे देवे समोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं, अविसुद्धलेसे समोहया स मोहएणं अविसुद्धलेसंदेवं,अविसुद्धलेसे देवे समोहया समोहएणं विसुद्धलेसं देवं विसुद्धलेहै सेदेवे असमोहएणंअधिसुद्धलेसं देवं त्रिसुद्धलेसे असमोहएणं विसुद्धलेसं देवं, विसुद्ध लेसेणं भंते ! देवे समोहएणं अविसुद्ध लेसं देवं जाणइपासइ ? हंता जाणइ पासइ, एवं विसुद्ध समो हए विसुद्धलेसं देवं,विसुद्ध समोहयासमोहएणं अविसुद्धलेसं देवं,विसुद्ध समोहयासमोहएणं, ही २ विभंगज्ञानवंत देव उपयोग रहित आत्मा से अवधि ज्ञानवंत देव, देवी या अन्य को नहीं जान व देख सकते हैं. विभंग ज्ञानवंत देव उपयोग सहित आत्मासे विभंग ज्ञानी देव, देवी व अन्य किसी को नहीं जान सकता है ४ विभंग ज्ञानी उपयोग सहित अवधिज्ञानी देवादि को नहीं जान सकता है, ५ विभंगज्ञानी देव उपयोग सहित व रहित आत्मा से विभंगज्ञानवंत देव देवी या अन्य किसी को नहीं जान सके ६ विभंग ज्ञानी उपयोग सहित या रहित आत्मा से अवधिज्ञानवंत देव देवी को नहीं जान व देख सकते हैं, यह छ भांगें मिथ्यादृष्टि देव के जानना*७ अवधिज्ञानी देव उपयोग रहित आत्मा से विभंग ज्ञानवंत देव देवी या अन्य किसी को नहीं जान सके व नहीं देख सके, ८ अवधिज्ञानी देव उपयोग रहित ___ * इस में से तीन भांगे उपयोग रहित वाले हैं. उपयोग रहित जीव कदापि नहीं जानसकता व देख सकता है. परंतु से उपयोग सहित मिथ्यादृष्टि मिथ्यात्व व अज्ञान के प्रभाव से यथार्थ वस्तु स्वरूप नहीं जान सकता हैं इसलिये छ भांगे नहीं है १ जानने व नहीं देखने के कहे है. * प्रकाशक-राजावहादुर लाला मुखदेवमहायजी ज्वालामसादजी . 42 अनुवादक
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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