________________
वाला, प० प्रस्तरोदक वाला खु० क्षुब्धजल वाला अ० अक्षब्ध जल वाला गो. गौतम ल० लवण समुद्र ।
उ० ऊंचापामी वाला प० प्रस्तर उदक वाला खु. क्षुब्ध जल वाला नोनी अ. अक्षर जल वाला ७ए. यहां आ० लेकर ज. जैसे जी. जीवाभिगम में जा. यावत से वह ते. इसलिये गो गौतम बा... | बाहिर के दी० द्वीप समुद्र पु० पूर्ण पु० पूर्ण प्रमाण वो० उच्छलते वो० उल्लासपामते स. समान ५० पडे
गोयमा ! जाइनामगोयनिउत्ताउयावि जाक अणुभागनामगोयनिउत्ताउयावि, दंडओ जाव वेमाणियाणं ॥ १२ ॥ लवणेणं भंते ! समुद्दे किं उस्सिओदए, पत्थडोदए, खुभियजले, अक्खुभिय जले ? गोयमा ! लवणेणं समुद्दे उस्सिओदए नो पत्थडोदए, खुभियजले, नो अखुभियजले, एत्तो आढत्तं जहा जीवाभिगमे, जाव से
केणटेणं ? गोयमा ! बाहिरयाणं दीवसमुद्दा पुण्णा पुण्णप्पमाणा, वोलटमाणा, वोसभावार्थ उच्च नाम व गोत्र के आयुष्य का बंध करे. यह बारह दंडक जाति आश्रित हुए. वैसे ही अनुभागतक
छ बोल का जानना. इस तरह १२+६ ७२ दंडक होते हैं ॥ १२ ॥ अहो भगवन् ! लवण समुद्र में
क्या पानी की वृद्धि होती है, या पानी बराबर रहता है अथवा लवणसमुद्र क्षुब्ध रहता है या शान्त ॐ रहता है ? अहो भगवन् ! लषण समुद्र में पानी उपर चडता है क्योंकि सोलह हजार योजन का 16 ऊंचा पानी का दगमाल है, इसलिये सम पानी नहीं. पैसे ही उसका जल क्षुब्ध ह परतु शान
सम पानी नहीं. पैसे ही उत का जल क्षुब्ध है परंतु शान्त नहीं है.
(भगवती) मूत्र 898 विवाह पण्णति
armanannnnnnnnnnnnnnnnnnnnnwaran
43043 छटा शतकका आठवा उद्दशा
-2017