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शब्दार्थ
अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
अ० असुर ५० करे नो० नहीं ना० नाग ५० करे च० चौथी में ण विशेष दे. देव ए. एक प. करे: नो० नहीं अं• असुर नो० नहीं ना नाग ए. ऐसे हे नीचे दे० देव ए. एक प० करे ॥ ९॥ त. तमस्काय क. कल्प प० पांच अ० अग्नि पु. पृथ्वी अ० अग्नि पु० पृथ्वी में आ० अप्काय ते. तेउव०
एवि भाणियव्वं, णवरं देवोवि पकरेइ, असुरोवि पकरेइ नो नाओ पकरेइ ॥ चउत्थीएविणवरं देवो एक्को पकरेइ, नो असुरो नो नाओ एवं हेट्टिलासु देवो एक्को पकरेइ ॥९॥
अत्थिणं भंते ! सोहम्मीसाणेणं कप्पाणं अहे गेहाइवा, गेहावणाइवा ? नो इणटे,
समटे । अत्थिणं भंते ! उराला बलाहया ? हंता अत्थि; देवो पकरेइ, असुरोविपकरेइ । ___ नो नाओ ॥ एवं थणियसदेवि । अत्थिणं भते! बादरे पुढविकाए बादरे अगणिकाए ? करते हैं परंतु नाग नहीं करते हैं. चौथी, पांचवीं, छठी, सातवी में मात्र देव करते हैं ॥९॥ अहो भगवन् ! क्या सौधर्म ईशान देवलोक की नोचे गृह व दुकानों हैं ? अहो गौतम ! यह अर्थ योग्य नहीं है. अहो भगवन् ! क्या सौधर्म ईशान देवलोक नीचे वडे मेघ होते हैं व वर्षा वर्षाते हैं ? अहो गौतम ! वहां मेघ होते हैं व वर्षा वर्षती है. उन मेघ को देव व असुर करते हैं परंतु नाग नहीं करते हैं. क्योंकि नाग का उन देवलोकं नीचे गमन नहीं है. वैसे ही बादर स्थनित शब्द मी देव व असुर करते हैं. सौधर्म ईशान देवलोक की नीचे क्या बादर पृथ्वी काय व बादर अग्निकाय है ? अहो गौतम !,
• प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेव सहायजी ज्वालाप्रसादजी *
भावार्थ