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16 की ५० पल्योपम
(भग
शब्दार्थ न. नलिन अ० अच्छिणिऊर अ० अडय ए० एडय न० नउय चू, चूलिका सी० शीर्षप्रहेलिका ए० यह
अ० गणित का वि० विषय ते० उस पीछे उ० उपमा ॥ ४ से० अथ किं० क्या उ० उपमा दु. दोपकार की प. पल्योपम सा. सागरोपम से से. अथ किं. क्या ५० पल्योपम सशस्त्र से ति. तीक्ष्ण छ ।
छेदने को भे० भेदने को जं० जिसे न० नहीं कि० खरेख़र स० शक्य तं० उसे ५० परमाणु सि० केवली विव० कहते हैं आ० आदि ५० प्रमाण का अ० अनंत ५० परमाणु पुद्गलों के स० समुदाय का स०
आच्छणिऊरे २, अडए २, एडए २, नउएय २, चूलिय २, सीसपहेलिय २, एयावयावगणियस्स विसए, तेणंपरं उवमिए ॥ ४ ॥ से किं तं उवमिए दुविहे पण्णत्ते, तंजहा--पलिओवमेय, सागरोवमेय ॥ से किं तं पलिओवमे ? सत्थेणं सुतिक्खणवि छेत्तुं भेत्तुं च ज न किरसक्का ॥ तं परमाणुं सिद्धा, वयंति आई पमाणाणं
॥ ॥ अणताणं परमाणुपोग्गलाणं समुदय समिति समागमेणं साएगा उसण्ह णिभावार्थ, अडयांग ऐसे ही चौरासी लक्ष गुने करते अड्य, एडयांग, एडय, नउयांग, नउय, चूलियांग, चूलिय, !
सीसपहेलियांग, सीसपहेलिय. वहांतक गणित का विषय है, इस से आगे मात्र उपमा है ॥ ४ ॥ उपमा दो प्रकार की पल्योपम व सागरोपम. उस में से पल्योपम की उपमा बतलाते हैं. तीक्ष्ण शस्त्रसे भी जो भेदावे . नहीं, छेदावे नहीं उस परमाणुको केवली भगवन्त आदि प्रमाण कहते हैं. अर्थात् प्रमाणों की आदि परमाणु से है.
488 छठा शतकका सातवा उद्देशा 4880
पंचमाङ्ग विवाह