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शब्दार्थ
अमोलक
मीलने के स. समागम से सा. वह ए. एक उ० ओसन्न सनिय स० शीत सन्निया उ० ऊर्ध्वरेणु त० त्रसरेणु र० रथरेणु बा० बालाग्र लि० लीख जू० यूका ज. यवमध्य अं० अंगूल अ० आठ उ० ओसन्न । सन्निया का ए० एक म. शीतसन्निया अ० आठ शीतसन्निया का ए. एक उ० ऊर्ध्वरेणु दे० देवकुरु उ० उत्तरकुरु के म. मनुष्यों का बा० बालाग्र ए. ऐसे ह० हरिवास र० रम्यक हे ० हेमवय ।
याइवा, सण्हसाहियाइवा उढरेणूइवा, तसरेणूइवा, रहरेणूइवा, बालग्गाइवा, लिक्खा इवा, जूयाइवा, जवमझेइवा, अंगुलेइवा, अट्ठ उसण्हसाण्हयाओ साएगा सण्हसहिया अट्ठसण्हसण्हयाओ सा एगा उढरेणू,अट्ठ उड्डरेणूओसाएगा तसरेणू अट्ठ तसरेणूओसाएगा रहरेणू, अट्टरहरेणूओ से एगे देवकुरु उत्तरकुरुगाणं मसाणं वालग्गे,एवं हरिवासरम्मग, वह परमाणु सूक्ष्म शस्त्र से भी भेदा नहीं जाता है. ऐसे अनंत परमाणुओं का एक उसनसन्निया होता है, आठ उसन्न सन्निया का एक शीतसेणीया होवें, आठ शतसेणीयाका का एक ऊर्ध्वरेणु, आठ ऊर्ध्वरेण का एक त्रसरेणु (पूर्वादिवायु से प्रेरित) आठ त्रसरेणु का एक स्थरेणु, आठ रथरेण का देवकुरु उत्तरकुरु क्षेत्रोत्पन्न मनुष्य का एक बालग्र, देवकुरु उत्तरकुरुक्षेत्र के मनुष्य के आठ बालाग्र जितना एक हरिवर्ष रम्यवर्ष मनुष्य का बालाग्र, इरिवर्ष रम्यकवर्ष मनुष्य के आठ बालाग्र जितना
वय एरणवय मनुष्य का एक बालाय, हेमवय एरणवय मनुष्य के आठ बालाग्र जितना पूर्व पश्चिम
23 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि
* प्रकाशक-सजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी जालाप्रसादी *
भावार्थ