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शब्दार्थ १० सं० संख्यात आ० आवलिका नि० निश्वास ह० हृष्ट अ० . जरा रहित नि० क्लिष्टता रहित जं. जीवों | ayo का एक एक उ उश्वास निश्वास पा० प्राण वु० कहाता है स० सात पा० पाण का० ए० एक थो0oyo
स्तोक स• सात स्तोक से वह ल० लव ल. लवका स० सत्तहत्तर ए. यह मु० मुहूर्त ति० तीन स० सहस्र स० सातसो ते. तहसर उ० उश्वास ए. यह मु० मुहूर्त दि० देखागया स० सब अ० अनंत णा ज्ञानियों से ए० इन मु० मुहूर्त के प० प्रमाण से ती० तीस मु० मुहूर्त अ. अहो रात्रि ५० पन्नरह
लवाणं सत्तहत्तरिए, एसमुहुत्ते वियाहिए (२) तिाण सहस्सा सत्तसयाई, तेह है त्तरं च ऊसासा ॥ एस मुहुत्तो दिट्ठो, सब्देहिं अणंत नाणीहिं (३) एएणं मुहुत्त पमाणेणं, तीसमहुत्ता अहोरत्ता, पण्णरस अहोरत्ता पक्खो, दोपक्खा मासो, दोमासा
उऊ, तिण्णि उऊ अयणे, दो अयणे संवच्छरे, पंच संवच्छरिय जुगे, वीसं जुगाई ऐसा जीव का एक श्वासोश्वास को पाणु नामक काल कहते हैं, सातपाणु का एक थोत्र, सात थोय की एक लव, ७७ लव का एक मुहूर्त. अर्थात् ३७७३ श्वासोश्वास का एक मुहूर्न अनंन ज्ञानियोंने कहा है
॥ ३ ॥ इस मुहूर्त के प्रमाण से तीम मुहूर्त की एक अहोरात्रि, पनरह अहोरात्रि का एक पक्ष, दो पक्ष : bio का एक मास, दो मास की एक ऋतु, तीन ऋतु की एक अयन, दो अयन का एक संवत्सर, पांच संव
सर का एक युग, वीस युग का सो वर्ष, दश सो वर्ष का एक हजार वर्ष, सो हजार वर्ष का एक लक्ष
+8 पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र 8888
><3 छठा शतकका सातवा उद्देशा