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________________ mmmmmmmmmmmmmmm शब्दार्थ ॥२॥ अ० अथ भं० भगवन् यः अतसी (भगी) कु० कुसम्भो को कोदरे के० कांग व० बंटी रा० राल को० कोद्रव विशेष स० शन स०सात समंवत्सर से०शेष तं वै ॥३॥ ए०एक मु०मुहूर्त का के० कितने उ० उश्वास काल वि० कहा गो गौतम अ०असंख्यात स० समय का स० बंद का स० मीलने का स० संयोग सा. वह ए० एक आ० आवलिका ५० कहाती है सं० संख्यात आ० अवलिका उ० उश्वास ८२४ कोदूसग, सण, सरिसव, मूलगबीयमाईणं एएसिणं धन्नाणं एयाणिवि तहेव, णवरं सत्त संवच्छराई सेसं तचेव ॥ ३ ॥ एगमेगस्सणं भंते ! मुहुत्तस्स केवइया ऊसासहा वियाहिया ? गोयमा ! असंखेजाणं समयाणं समुदय समइ समागमेणं साएगा आवलियत्ति पवुच्चइ, संखेजा आवलिया ऊसासो, संखेजा आवलिया निस्सासो, हदुस्स अणवगल्लस्स निरुवकिट्ठस्स जंतुणो, एगे ऊसास नीसासे एसपाणुत्ति वुच्चई (१) सत्तपाणणि से थोवे, सत्त थोवाइं सेलवे ॥ भावार्थ अहो गौतम ! जघन्य अंतर्मुहूर्त उत्कृष्ट पांच वर्षतक रहे॥२॥ अलसी, कुटुंभ, कोदरे, कांग, बंटी, राल, कोद्रव विशेष, शण, सरसव, मूले का वीज वगैरह धान्य को कोठे आदि में रख कर लीपे यावत् रेखा से मुद्रित E करे तब सात वर्ष तक उन धान्यों की योनि रहती है ॥३॥ अब स्थिति का स्वरूप कहते हैं. अहो भगवन्! एक मुहूर्त के कितने श्वासोश्वास कहें ? अहो गौतम ! असंख्यात समय के समुदाय की एक आवलिका होती 1 है, संख्यात आवलिकाका एक उश्वास,संख्यात आवलिका का एक नश्वास हृष्ट,तुष्ट, जरा व रोग से अपराभूत है। 02 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमालक ऋषिजी annawww wwwmmmmmmmmmmmmm * प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायनी घालापसादजी &
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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