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शब्दार्थ
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११ अनुवादक-बालब्रह्मचारी मनि श्री अमोलक ऋषिजी.
वि० विमान में प० रहते हैं क. कहां आ. अदित्य देव प० रहते हैं अ० अचिमाली विमान में एक ऐसे ने० जानना ज० यथानुपूर्वि जा. यावत् क० कहां भ० भगवन् रि० रिष्टदेव ५० रहते हैं गो. गौतम
• रिष्ट विमान में ॥ २९ ॥ सा० सारस्वत आ० आदित्य को भं० भगवन् दे देवों को क० कितने देव क० कितने दे० देवशत प० कहे गो० गौतम स० सात दे० देव स० सात देवशत प. परिवार व० वन्हि व वरुण दे देवों को चो० चौदह दे० देव चो० चौदहदेवमहस्र ग• गर्दतोय तु तुषित को स.
गोयमा ! अचिंमि विमाणे परिवसंति ॥ कहिणं आइच्चा देवा परिवसंति ? गोयमा ! अच्चिमालिंमि विमाणे, एवं नेयव्वं जहाणुपुवीए जाव कहिणं भंते ! रिट्ठा देवा परिवसंति ? गोयमा ! रिट्रॅमि विमाणे ॥ २९ ॥ सारस्सय माइच्चाणं भंते ! देवाणं कइदेवा कइदेवसया पण्णता ? गोयमा सत्तदेवा सत्तदेवसया परिवारो पण्णत्ता ॥ वहिवरुणाणं चोद्दसदेवा चोदसदेव सहस्सा पण्णत्ता ॥ गद्दतोय तुसियाणं देवाणं
सत्तदेवा सत्तदेवसहस्सा प० ॥ अवसेसाणं नवदेवा, नवदेवसया पण्णत्ता ॥ पढ़म में वन्हि, प्रभंकर में वरुण, चंद्राम में गर्दतोय, सूर्याभ में तुषित, शुक्राभ में अव्यावाध, सुप्रतिष्टाभ में अगिच्च,
और रिष्टाभ में रिष्ट नामक लोकान्तिक देव रहते हैं ॥ २९ ॥ सारस्वत आदित्य इन दोनों देवों को सात देव आधिपति हैं और एक २ को एकसो २ का परिवार रहा हुवा है इस से सातसो देव का परिवार है.
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी
भावार्थ