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________________ 4 शब्दार्थ सत्र पंचमान विवाह पण्णत्ति (भगवती) सूत्र 8-8+ भावार्थ | कसे गो गौतम पु० पृथ्वीकायिक अ० कितनेक सु० शुभ देश को पत्रकाशित करते हैं. अ० कितनेक दे देश को नो० नहीं प० प्रकाशित करते हैं ते. इसलिये ॥ १॥ स० तमस्काय भ० भगवन क० कहां स. उत्पम हुई क० कहां सं० रही गो० गौतम जं० जम्बूद्वीप की ब० बाहिर ति तीर्छ अ014 केणटेणं ? गोयमा ! पुढविकाएणं अत्थगइए सुभे देसं पकासेइ अत्थेगइए देसं नो । पकासेइ से तेणटेणं ॥१॥ तमुकाएणं भंते ! कहिं समुट्ठिए कहिं संनिट्टिए ? गोयमा! जबुहीवस्स २ बहिया तिरिय मसंखेजे दीवसमुद्दे वीईवइत्ता, अरुणवरस्स तमस्काय कहते हैं ? अहो गौतम ! जो तमस्काय है वह पृथ्वी का परिणाम नहीं है परंतु पानी का परिणाम है इसलिये पृथ्वी को तमस्काय कहना नहीं, परंतु पानी को तमस्काय कहना. अहो भगवन् ! किस कारण से पृथ्वी को तमस्काय नहीं कहना परंतु पानी को तमस्काय कहना ? अहो गौतम ! पृथ्वीकाया के मणि आदि कितनेक स्कंध भास्वरपना से विवक्षित क्षेत्र में प्रकाश करते हैं, और कितनेक पृथ्वीकाधिक देशपृथ्वीकायांतर प्रकाशने योग्य होने पर भी अभास्त्ररपना से प्रकाश नहीं करते हैं." अफ्काय में अप्रकाशकपना रहा हुषा है वैसे ही तमस्काय में भी अप्रकाशकपना रहा हुवा है. इस से | अप्काय परिणामवाली तमस्काय रही हुई है ॥ १॥ अहो भगवन् ! तमस्काय कहां से उत्पन्न हुई है व कहां रही हुई है ? अहो गौतम ! इस जम्बूद्वीप से बाहिर असंख्यात ड्रीप समुद्ध उलंय कर जावे व 80% छठा शतकका पांचवा उद्देशा 42 8
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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