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शब्दार्थ |
सूत्र
भावार्थ
अनुवादक-पालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषीजी
२० ॥ सु० सूक्ष्म वा • बादर नो० नहीं सूक्ष्म नो० नहीं बादर ॥ २१ ॥ च० चरिम अ० अचरिम | ॥ २२ ॥ ए० इन मं० भगवन् जी० जीवों में इ० स्त्री वेदी पु० पुरुष वेदी न० नपुंसकवेदी अ०
आउ सुहुने बादरे भयणाए, नो सुहुमे नो बादरे नबंधइ ॥ २१ ॥ नाणावरणं किं चरिमे बंधइ, अचरिमे बंधइ ? गोयमा ! अट्ठवि भयणा ॥ २२ ॥ एएसिणं भंते! जीवाणं इत्थवेयगाणं, पुरिसवेयगाणं, नपुंसगवेयगाणं, अवेयगाणय कयरे कयरे
( कर्मों
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का जानना. आयुष्य की दो में भजना और नो सूक्ष्म नों बादर नहीं बांधते हैं ॥ २१ ॥ अहो | भगवन् ! ज्ञानावरणीय क्या चरिम बांधते हैं या अचरिम बांधते हैं ? अहो गौतम ! आठों कर्मों की भजना है || २२ ॥ अहो भगवन् ! स्त्री वेदी, पुरुषवेदी, नपुंसकवेदी व अवेदी में कौन किस से यावत् विशेषाधिक है अहो गौतम ! सत्र से थोडे पुरुष वेदी, इस से स्त्री वेदी संख्यात गुने उस से अवेदी अनंत गुने उस से नपुंसक वेदी अनंत गुने ( २ ) सव से थोडे संयति संयतासंयाते संख्यातगुने नो संयति नो असंयति नो संयतासंयति अनंत गुने व असंयति अनंतगुने (३) सब से थोडे समदृष्टि मिश्र दृष्टि अनंत गुने व मिथ्या दृष्टि अनंत गुने (४) सत्र से थाडे संज्ञी, नो संज्ञी नो असंज्ञी अनंत {गुने, असंज्ञी अनंत गुने (५) सब से थोडे अभवि, नो भवि नो अभाव अनंत गुने, भवी अनंत गुने (६)
* प्रकाशक- राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी
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