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शब्दार्थ योगी ॥ १८ ॥ सा० साकारोपयुक्त अ० अनाकारोपयुक्त ॥ १९ ॥ आ• आहारक अ० अनाहारक सूत्र |
गारोवउत्ते बंधइ ? गोयमा ! अट्टसुवि भयणाए॥१९॥ नाणावरणं किं आहारएबंधइ अणाहारए बंधइ?गोयमा! दोविभयणाए।एवं वेयणिज्जाउगवजाणं छण्ह, वेयणिजं आहारए बंधइ, अणाहारए भयणाए, आउए आहारए भयणाए, आणाहारए न बंधइ॥ २० ॥ नाणावरणं किं सुहुने बंधइ, बादरे बंधइ, नो सुहुमे नो बादरे बंधइ ? गोयमा !
सुहुमे बंधइ, बादरे भयणाए, नो सुहुमे नो बादरे नबंधइ, एवं आउगवजाओ सत्तवि भावार्थ
भगवन् ! साकारोपयुक्त या अनाकारोपयुक्त क्या ज्ञानावरणीय कर्म बांधते हैं ? अहो गौतम ! आठों हकर्मों में उन की भजना रहती है ॥ ११ ॥ अहो भगवन् ! ज्ञानावरणीय क्या आहारिक बांधते हैं या ब,
अनाहारिक बांधते हैं ? अहो गौतम ! दोनों में भजना है. ऐसे हो वेदनीय व आयुष्य छोडकर शेष सब का जानना. आहारक वेदनीय बांधते हैं और अनाहारक में भजना है. आयुष्य की आहारक में भजना और अनाहारक नहीं शंधता है ॥ २० ॥ अहो भगवन् ! क्या सूक्ष्म जीवों ज्ञानावरणीय कर्म बांधते हैं, बादर जीवों वांधते हैं या नो सूक्ष्म नो बादर जीवों बांधते है ? अहो गौतम ! सूक्ष्म जीव ज्ञानावरणीय कर्म बांधते हैं बादर में भजना है, और नो मूक्ष्म नो बादर नहीं बांधते हैं. ऐसे ही आयुष्य सिवा सब है।
( भगवती ) सूत्र पंचमांग विवाह पण्णत्ति
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08छठा शतकका तीसरा उद्देशा