SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 805
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शब्दार्थ | ७७५ विवाह पग्णत्ति ( भगवती ) सूत्र . दोनोंमें भ० भजना ॥१४॥ ना० ज्ञानावरणीय किं० क्या प० परित अ० अपरित बं० बांधता हैं ॥ १५ ॥ ज्ञानावरणीय किं० क्या आ० मतिज्ञानी मु० श्रुतज्ञानी ओ० अवधिज्ञानी म० मनःपर्यव ज्ञानी के० परित्ते भयणाए, अपरित्ते बंधइ, नो परित्ते नो अपरित्ते न बंधइ एवं आउगवजाआ सत्तकम्मपगडीओ आउए परित्तोवि अपरित्तोवि भयणाए, नो परित्तो नो अपरित्तो नबंधइ ॥ १५ ॥ नाणावरणं किं आभिणिबोहियनाणी बंधइ, सुयनाणी बंधइ, ओहिनाणी, मणपज्जवनाणी, केवलनाणी ? हेटिल्ला चत्तारि भयणाए केवलनाणी न बंधइ, एवं वेयणिज्जवजाओ सत्तवि, वेयणिजं हेटिल्ला चत्तारि बंधइ । अहो भग न् ! परित्त [ अल्प संसारी ] अपरित्त [अनंत संसारी ] नो परित्त नो अपरित्त (सिद्ध ) इनमें तीन में से कौन ज्ञानावरणीय कर्म बांधते हैं ? अहो भगवन् ! परित्त ज्ञानावरणीय कर्म क्वचित् बांधते हैं , व क्वचित् नहीं बांधत हैं, अपरित्त वांधते हैं, और नो परित्त नो अपरित्त नहीं बांधते हैं. ऐसे ही आयुष्य छोडकर सात कम प्रकृातयों का जानना. आयुष्य कर्म की परित व अपरित में भजना है. नो-30 परत नो अपरित आयुष्य कर्म नहीं बांधते हैं ॥ १५ ॥ अहो भगवन् ! क्या मतिज्ञानी, श्रुतज्ञानी, अवधि । ज्ञानी, मनःपर्यवज्ञानी व केवलज्ञानी ज्ञानावरणीय कर्म बांधते हैं ? अहो गौतम ! चार ज्ञान वाले क्वचित् बांधते हैं व क्वचित् नहीं बांधते हैं. केवल ज्ञानी नहीं बांधते हैं. ऐसे वेदनीय छोडकर सातों । 1-8898.छट्ठा शतकका तीसरा उद्देशा भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy