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________________ शब्दार्थ ७७४ अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी नहीं पर्याप्त नो नहीं अपर्याप्त ॥१३॥ ना ज्ञानावरणीय कि०क्या भा० भाषक अ०अभाषक गो गौतम दो० ॥ केवलदसणी भयणाए॥१२॥नाणावराणिज कम्मं किं पजत्तओ बंधइ अपजत्तंओ बंधइनो पजत्तओ नो अपजत्तओ बंधइ ?गोयना ! पजत्तएभयणाए, अपज्जत्तए बंधइ, नो पजत्तए नो अपजत्तए नबंधइ ॥एवं आउगवजाओ, आउगंहेट्ठिला दोभयणाए, उवरिले ण बंधइ । ॥ १३ ॥ नाणाबरणं किं भासए बंधइ अभासए ? गोयमा ! दोवि भयणाए ॥ एवं वेयाणजवज्जाओ सत्त, वेयाणजं भासए बंधइ, अभासए भयणाए ॥ १४ ॥ नाणावरणं किं परित्ते बंधइ, अपरित्ते बंधइ नो परित्ते नो अपरित्ते बंधइ ? गोयमा ! या नो पर्याप्त नो अपर्याप्त बांधते हैं ? अहो गौतम ! ज्ञानावरणीय कर्म पर्याप्त जीव क्वचित् बांधते हैं व क्वचित् नहीं बांधते , अपर्याप्त बांधते हैं, नो पर्याप्त नो अपर्याप्त नहीं बांधते हैं. ऐसे ही आयुष्य कर्म छोडकर शेष स तो कर्मों का जानना. आयुष्य कर्म पर्याप्त अपर्याप्त बांधते भी हैं और नहीं भी बांधते हैं. नो पर्याप्त नो अपर्याप्त जीव आयुष्य कर्म नहीं बाधते हैं ॥१३॥ अहो भगवन ! ज्ञानावरणीय कर्म क्या भाषक बांधते हैं व अभाषक बांधते हैं ? अहो गौतम ! ज्ञानावरणीय कर्म भाषक व अभाषक दोनों क्वचित् बांधते हैं व क्वचित् नहीं बांधते हैं ऐसे ही वेदनीय कर्म छोडकर शेष सब कर्मों का जानना. वेदनीय कर्म भाषक बांधते हैं परंतु अभाषक क्वचित् बांधते हैं व क्वचित् नहीं बांधते हैं ॥ १४ ॥ * प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेव सहायजी ज्वालाप्रसादजी * भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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