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________________ शब्दाथी भाव पंचमांग विवाह पण्णात्ति ( भगवती) सूत्र नहीं अभवसिद्धिक ॥ ११ ॥ ना० ज्ञानावरणीय किं० क्या च० चक्षुदर्शनीय अ० अचक्षुदर्शनीय आ० अवधिदर्शनीय के० केवलदर्शनीय ॥ १२ ॥ ना० ज्ञानावरणीय किं. क्या ५० प्रर्याप्त अ० अपर्याप्त नो. णाए अभवसिद्धिए बंधइ नो भवसिद्धिए नो अभवसिद्धिए न बंधइ एवं आउगवजा । सत्तवि, आउगं हेट्रिल्लादो भयणाए, उवरिलो न बंधइ॥११॥नाणावरणं किं चक्खदंसणी बंधइअचक्खुदसणी बंधइओहिदसणी बंधइ केवलदसणी बंधइ ? गोयमा ! हेटिल्ला तिण्णि भयणाए उवरिले ण बंधइ॥ एवं वेयाणजवजाओ सत्तवि, वेयाणजं हट्ठिला तिण्णि बंधइ । बांधते हैं, और क्वचित नहीं भी बांधते हैं अभवसिद्धिये ज्ञानावरणीय कर्म बांधते हैं नो भवसिद्धिये । नो अभवसिद्धिये ज्ञानावरणीय कर्म नहीं बांधते हैं. ऐसे ही आयुष्य छोडकर शेष सब कर्मों का जानना आयष्य कर्म भवसिद्धिक व अभवसिद्धिक क्वचित बांधते हैं व क्वचित नहीं बांधते हैं. परंत नो भवसि-1द्धिक नो अभवसिद्धिक आयुष्य कर्म नहीं बांधते हैं ॥ ११ ॥ अहो भगवन् ! क्या ज्ञानाररणीय कर्म चक्ष दर्शनी, अचक्षु दर्शनी, अवधि दर्शनी, या केवल दर्शनी बांधते हैं ? अहो गौतम ! चक्षु, अचक्षु so व अवधिदर्शनी में भजना. और केवल ज्ञानी नहीं बांधते हैं ऐसे ही वेदनीय कर्म छोडकर सातों को का जानना. वेदनीय कर्म चक्षु, अचक्षु व अवधि दर्शनी बांधते हैं. परंतु केवल दर्शनी नहीं । बांधते हैं ॥ १२ ॥ अहो भगवन् ! ज्ञानावरणीय कर्म क्या पर्याप्त जीव बांधते हैं अपर्याप्त बांधते हैं. छठा शतक का तीसरा उद्देशा 28
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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